Litreture
कविता: लंकापति रावण क्यों हारा श्रीराम से,
मरते मरते रावण ने दुनिया को बताया वह राम से क्यों हारा, लंकापति रावण त्रैलोक्य विजयी परम शिवभक्त पर श्रीराम से हारा। दसानन दसों दिगपालों का नियंत्रक, रावण महाविद्वान सर्वशक्तिमान था, अति शक्तिशाली कुंभकरण, विद्वान विभीषण भगवद्भक्त जैसा भाई था। त्रिसिरा, मेघनाद, अक्षय कुमार जैसे बलशाली सात पुत्रों का पिता रावण खर दूषन, कुबेर जैसे […]
Read Moreकविता : इंसानियत
- Nayalook
- October 18, 2023
- #savagery
- arrogance
- brick
- confrontation
- man
- wall
ईंट की दीवाल चुनना छोड़ दो। आदमी को आदमी से जोड़ दो।। ईंट की दीवाल तो ढह जाएगी। इंसानियत ही बस यहां बच पाएगी।।1।। दंभ का टकराव बढ़ता जारहा। युद्ध का उन्माद ही टकरा रहा।। बम धमाकों से शहर वीरान हैं। चील कौए खा रहे इंसान हैं।।2।। सज रही हैवानियत की बस्तियां। बंट रही दो […]
Read Moreकविता : मान करोगे मान मिलेगा
- Nayalook
- October 17, 2023
- life
- Pride
- respect
- respectable
बड़े बुजुर्ग कहते थे जो जिसके पास होता है, वही दूसरों को दे पाता है, जो दूसरों को आदर देता है वह स्वयं भी तो आदरणीय हो जाता है। सम्मान और अभिमान दो शब्दों में केवल दो अक्षरों का फ़र्क़ होता है, परंतु दोनो शब्दों के अर्थ और भाव में ज़मीन आसमान सा अन्तर है […]
Read Moreमेरी रचना माँ दुर्गा भजन: माँ दुर्गा स्तुति
मैया शैलसुता ब्रह्मचारिणी माँ, चंद्रघंटा देवी कुशमांडा माता, स्कन्दमाता कात्यायिनी माता, कालरात्रि, महागौरी सिद्धिदात्री माता का आवाहन करिये करिये। युग पाणि जुड़े हैं विनती में, हे मातु दया करिये करिये, अभिमान मिटे तन का मेरे, तन कष्ट मेरा हरिये हरिये। लक्ष्मी, दुर्गा तुम सरस्वती,माँ, तुम हो महिसासुर मर्दिनि माँ, धरती के सब पाप हरिए हरिये, […]
Read Moreकविता : निर्जल उपवास व नशामुक्त भारत
निर्जल उपवास रखे कोई, कोई नशे में धुत्त हो जाये, यह बात बहुत अनैतिक है, इस पर विचार किया जाये। नशा मुक्त वृत आप करो, पत्नी का पूरा सम्मान करो, वह जननी है, बेटी व बहन है, उसके इस वृत का मान करो। नशा मुक्त भारत को करना है, यह शपथ हम पुरुषों को लेना […]
Read More“विश्व डाक दिवस” के अवसर पर: डाकिया डाक लाया
डाकिया बाबू ही वो कहलाता था, इस शब्द से तो हमारी जिंदगी का, नित-प्रति उठते-बैठते का नाता था, पोस्टमैन घर का ही एक हिस्सा था। अब पोस्ट मैन कभी कभी दिखता है, उसका काम तो मोबाइल ने पूरी तरह ख़त्म कर दिया है उसे भुलवा दिया है, उसका इंतज़ार ही ख़त्म कर दिया है। सबको […]
Read Moreकविता : हाँ, तुम मुझे जला न पाओगे
भारत वर्ष की धरती के लोगों, हाँ ! तुम मुझे जला न पाओगे, मैं रावण, जलने को तैयार नहीं हूँ, श्रीराम की स्वीकृति न ले पाओगे। घरों के अंदर बैठकर पहले अंदर पाल रखी उस प्रवृत्ति को जलाओ, जो काम, क्रोध, अहंकार से भरी है, लोभ, मोह, मद, ईर्ष्या,घृणा भरी है। शराब, अफ़ीम, चर्स, स्मैक, […]
Read Moreकविता : प्रभुता व प्रतिभा
प्रभुता पाई काहि न मद होई, प्रतिभा पाई सदा यश होई, असफलता से बात न बनती, पाई सफलता आराम न होई। भाग्य से मिली सफलता कैसी, बिन गुरू ज्ञान की प्रतिभा जैसी । मिले न प्रतिभा बिन अवसर के, निज कृत क़र्म जीवन की जैसी । सुंदर संदेश छिपा कविता में, जीवन की राहों में […]
Read Moreकविता : अभिमान, स्वाभिमान
जन्म से लेकर मृत्यु तलक का सफ़र बहुत ही लम्बा है, बचपन से वृद्धावस्था तलक जीवन का सफ़र झरोखा है। मेरा तेरा करते करते हम सबने सारी उम्र बितायी है, मेरा तेरा ना छोड़ सका कोई, मन से मन न मिला सका कोई। मंज़िल मन से मन मिलने की, सारी उम्र से ज़्यादा लम्बी है, […]
Read More