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पुण्यतिथि विशेष स्मरणोत्सव : पं सीताराम त्रिपाठी जिनसे सीखते हैं लोग समर्पण
जीवन को सत्य की साधना बनाना हर व्यक्ति नहीं जानता लेकिन जो अपने जीवन को साध लेते हैं वे सत्यानुयायी बन जाते हैं। पूज्य पिताजी को जब-जब मैं देखा उन्हें अपने कर्त्तव्य के प्रति सत्यानुयायी ही पाया। वह डाकघर में पोस्ट मास्टर थे। ब्रांच पोस्ट मास्टर (बीपीएम) यानी शाखा डाकपाल। मेरे घर में ही डाकघर […]
Read More“विश्व डाक दिवस” के अवसर पर: डाकिया डाक लाया
डाकिया बाबू ही वो कहलाता था, इस शब्द से तो हमारी जिंदगी का, नित-प्रति उठते-बैठते का नाता था, पोस्टमैन घर का ही एक हिस्सा था। अब पोस्ट मैन कभी कभी दिखता है, उसका काम तो मोबाइल ने पूरी तरह ख़त्म कर दिया है उसे भुलवा दिया है, उसका इंतज़ार ही ख़त्म कर दिया है। सबको […]
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डाकिया बाबू ही वो कहलाता था, इस शब्द से तो हमारी जिंदगी का, नित-प्रति उठते-बैठते का नाता था, पोस्टमैन घर का ही एक हिस्सा था। अब पोस्ट मैन कभी कभी दिखता है, उसका काम तो मोबाइल ने पूरी तरह ख़त्म कर दिया है उसे भुलवा दिया है, उसका इंतज़ार ही ख़त्म कर दिया है। सबको […]
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