Poem

Raj Dharm UP

प्रदेश में छात्र एवं छात्राओं को सभी क्षेत्रों में एक समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार की पहल

लैंगिक समानता के साथ ही बाल संरक्षण सु्विधाओं और सार्वजनिक जीवन में हर बच्चे को चैंपियन बनाने पर आधारित है थीम लखनऊ । उत्तर प्रदेश में छात्रों के लिए समानता की पक्षधर योगी सरकार अभियान के तहत छात्र-छात्राओं को एक समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। इसी क्रम में शनिवार से समानता और […]

Read More
Litreture

कविता : निर्जल उपवास व नशामुक्त भारत

निर्जल उपवास रखे कोई, कोई नशे में धुत्त हो जाये, यह बात बहुत अनैतिक है, इस पर विचार किया जाये। नशा मुक्त वृत आप करो, पत्नी का पूरा सम्मान करो, वह जननी है, बेटी व बहन है, उसके इस वृत का मान करो। नशा मुक्त भारत को करना है, यह शपथ हम पुरुषों को लेना […]

Read More
Litreture

कविता : लकड़ी के कीड़े दीमक होते हैं

नेता साँसदगण और मिनिस्टर भी, संसद में अक्सर सोते पाये जाते हैं, पाँच वर्ष के बाद नींद खुलती उनकी, जब जनता से वोट माँगने वे आते हैं। शिक्षक विद्यार्थी अपनी कक्षा में सोते हैं, सरकारी कर्मचारी ऑफ़िस में सोते हैं, अधिकारी कभी कभी ऑफ़िस जाते हैं, ज़्यादातर अपने बँगले में ही वे सोते हैं। सबकी […]

Read More
Litreture

कविता : सच्चाई कड़वी होती है…

सच्चाई कड़वी होती है, सोच समझ कर लिखना होगा। बुरा न माने लोग कहीं, कदम फूंक कर रखना होगा।   श्रीराम सरीखी मर्यादा में, रहकर भी, निंदा तो सहना होगा। राहें पथरीली हैं जग में, देख देख कर चलना होगा।   सोसल फ़ोरम में रहकर, वाइरल रोग से बचना होगा। सच्ची सीधी बात करोगे, तो […]

Read More
Litreture

कविता: समय और साँसे निश्चित हैं

दो दोस्तों ने दो जगह दो बातें लिखीं, “समय व साँसे दो ही वास्तविक धन हैं” दोनो ही निश्चित हैं दोनो ही सीमित हैं, दोनो की दोनो बातें दो बातें बताती हैं।   समय व साँसे क्या सच में निश्चित हैं? मैं सोचता हूँ शायद हैं भी और नहीं भी हैं, समय कब बदलेगा कोई […]

Read More
Litreture

कविता:  पर परिंदों पर ही अच्छे लगते हैं

यह वक्त वक्त की ही बात है कि, जब होता है तो काटे नहीं कटता, और जब नहीं होता है वक्त अपना, तब साथ देने वाला कोई नहीं होता।   पर परिंदों पर ही अच्छे लगते हैं, क्योंकि इंसान के पर निकलते ही, उसके अहंकार में वृद्धि हो जाती है, इंसान की बर्बादी शुरू हो […]

Read More
homeslider Litreture

कविता : पेंड़ तो नि: स्वार्थ छाँव देता है

खामोशियों से भी नेक काम होते हैं, हमने पेंड़ों को छाँव देते हुए देखा है, पेंड़ छाँव ही नही प्राण वायु भी देते हैं, पेंड़ फल, फूल और हरे पत्ते भी देते हैं। पेंड़ लकड़ी देते हैं तो मकान बनता है, सावन में पेंड़ों पर झूला भी पड़ता है, पशु पक्षियों को पेंड़ चारा भी […]

Read More