Litreture

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हिंदी दिवस और राजभाषा हिंदी

अपनी प्यारी मातृभाषा हिंदी के आलिंगन से हम दूर चले आये हैं। इसके मूल रूप से बहकते हुये, अंग्रेज़ी के प्रभाव में भरमाये हैं । इतनी सुंदर देवनागरी लिपि को छोड़, रोमन में लिखना सीख गये, दूर निकल आये इतना कि सब, मूल रूप में हिंदी लिखना भूल गये। शिक्षा पद्धति मैकाले की थोपी गई, […]

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कविता: इदमआशीर्वादमिति

प्रोत्साहन स्वरूप आशीर्वादमिति, कल्पना तवास्तु शब्दमच ममिति। स्वांत: सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा, भाषा निबंधमति मंजुल मातनोति॥   गिर गिर कर भी जो उठ खड़ा हो, वही इन्सान तो मज़बूत होता है, ठोकरें खाकर भी संभल जाये, वही व्यक्ति दृढ़ प्रतिज्ञ होता है।   यही श्रीमदभगवद्गीता का ज्ञान कहता है, त्रेता के श्री राम सीता का […]

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कविता:  तुम भी ख़ुश हो, हम भी ख़ुश हैं

गली गली में होटल रेस्टोरेंट खुले हैं, अवैध धंधे कुकुरमुत्ते से पनप रहे हैं, सालों से चलते आये हैं नज़र बचाके, पर क्या यह है बिना मिली भगत के।   नक़्शे पास नहीं होते हैं पर चलते हैं, पार्किंग की जगह नहीं पर चलते हैं, अग्निशमन की नहीं व्यवस्था इनमें, फिर भी ये धंधे धड़ल्ले […]

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