confrontation

Analysis Litreture

कविता : इंसानियत

ईंट की दीवाल चुनना छोड़ दो। आदमी को आदमी से जोड़ दो।। ईंट की दीवाल तो ढह जाएगी। इंसानियत ही बस यहां बच पाएगी।।1।। दंभ का टकराव बढ़ता जारहा। युद्ध का उन्माद ही टकरा रहा।। बम धमाकों से शहर वीरान हैं। चील कौए खा रहे इंसान हैं।।2।। सज रही हैवानियत की बस्तियां। बंट रही दो […]

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