madness
Litreture
कविता : हाँ, तुम मुझे जला न पाओगे
भारत वर्ष की धरती के लोगों, हाँ ! तुम मुझे जला न पाओगे, मैं रावण, जलने को तैयार नहीं हूँ, श्रीराम की स्वीकृति न ले पाओगे। घरों के अंदर बैठकर पहले अंदर पाल रखी उस प्रवृत्ति को जलाओ, जो काम, क्रोध, अहंकार से भरी है, लोभ, मोह, मद, ईर्ष्या,घृणा भरी है। शराब, अफ़ीम, चर्स, स्मैक, […]
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Litreture
पुरुष तभी शांत हुआ है जब वह है स्त्री की तरह समर्पित हो सका है,
स्त्रियां जब पुरुष जैसी होती हैं, तो सब उथला हो जाता है। स्त्री तो उथली हो ही जाती है। स्त्री सबसे ज्यादा चीज अगर कुछ खो सकती है, तो वह पुरुष जैसे होने की दौड़ में खो सकती है–अपनी आत्मा खो सकती है। हो तो नहीं पाएगी पुरुष जैसी, लेकिन आवरण ले सकती है। और […]
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