madness

Litreture

कविता : हाँ, तुम मुझे जला न पाओगे

भारत वर्ष की धरती के लोगों, हाँ ! तुम मुझे जला न पाओगे, मैं रावण, जलने को तैयार नहीं हूँ, श्रीराम की स्वीकृति न ले पाओगे। घरों के अंदर बैठकर पहले अंदर पाल रखी उस प्रवृत्ति को जलाओ, जो काम, क्रोध, अहंकार से भरी है, लोभ, मोह, मद, ईर्ष्या,घृणा भरी है। शराब, अफ़ीम, चर्स, स्मैक, […]

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कविता: दस अवगुण रावण रूपी

रावण जले, न जले, इसकी कोई चिंता फ़िक्र बिलकुल नहीं करना, पर हमारे अंदर श्रीराम जिंदा रहें, इसका हर हाल में ध्यान रखना । सीता की अग्नि परीक्षा भी तो सदियों से ली जाती आयी है, सीताओं को अग्नि परीक्षा देने में कभी हिचक तक भी नहीं आई है। देखो ! यह अग्नि परीक्षायें अब […]

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पुरुष तभी शांत हुआ है जब वह है स्त्री की तरह समर्पित हो सका है,

स्त्रियां जब पुरुष जैसी होती हैं, तो सब उथला हो जाता है। स्त्री तो उथली हो ही जाती है। स्त्री सबसे ज्यादा चीज अगर कुछ खो सकती है, तो वह पुरुष जैसे होने की दौड़ में खो सकती है–अपनी आत्मा खो सकती है। हो तो नहीं पाएगी पुरुष जैसी, लेकिन आवरण ले सकती है। और […]

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