arrogance

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कविता : इंसानियत

ईंट की दीवाल चुनना छोड़ दो। आदमी को आदमी से जोड़ दो।। ईंट की दीवाल तो ढह जाएगी। इंसानियत ही बस यहां बच पाएगी।।1।। दंभ का टकराव बढ़ता जारहा। युद्ध का उन्माद ही टकरा रहा।। बम धमाकों से शहर वीरान हैं। चील कौए खा रहे इंसान हैं।।2।। सज रही हैवानियत की बस्तियां। बंट रही दो […]

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कविता : दस अवगुण रावण रूपी

रावण जले, न जले, इसकी कोई चिंता फ़िक्र बिलकुल नहीं करना, पर हमारे अंदर श्रीराम जिंदा रहें, इसका हर हाल में ध्यान रखना । सीता की अग्नि परीक्षा भी तो सदियों से ली जाती आयी है, सीताओं को अग्नि परीक्षा देने में कभी हिचक तक भी नहीं आई है। हो सके तो यह अग्नि परीक्षा […]

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