infatuation
कविता : हाँ, तुम मुझे जला न पाओगे
भारत वर्ष की धरती के लोगों, हाँ ! तुम मुझे जला न पाओगे, मैं रावण, जलने को तैयार नहीं हूँ, श्रीराम की स्वीकृति न ले पाओगे। घरों के अंदर बैठकर पहले अंदर पाल रखी उस प्रवृत्ति को जलाओ, जो काम, क्रोध, अहंकार से भरी है, लोभ, मोह, मद, ईर्ष्या,घृणा भरी है। शराब, अफ़ीम, चर्स, स्मैक, […]
Read Moreकविता : भेड़िया आया-भेड़िया आया
- Nayalook
- February 21, 2023
- belief
- emotion
- greed
- infatuation
- story
- Wolf
सच बोलना मूलभूत प्रकृति व संवेदनशील सहज प्रवृत्ति है, झूठ सुनकर यदि हमें दुख होता है, ऐसे झूठ से ग़ैर को भी दुख होता है। जिस प्रकार झूठ सुनकर हमारी ख़ुद की भावना आहत होती है, वैसे ही हमारा झूठ सुनकर औरों की भावना अत्यंत कष्ट पाती है। बचपन में हम झूठ नहीं बोलते हैं, […]
Read Moreकविता : बोया पेंड़ बबूल का आम कहाँ से होय
करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय। बोया पेड़ बबूल का आम कहां से खाये॥ बुरा मत सोचो, बुरा मत कहो और बुरा मत देखो, गांधी जी के तीनों बानरों, जैसा सबका जीवन होय, किसी का बुरा जो सोचना अपना बुरा ही होय, औरों का भला करो तो, अपना भला भी होय ॥ […]
Read Moreदशहरा: मानव सभ्यता के इतिहास का विजय पर्व
दशहरा। मानव सभ्यता के इतिहास का विजयपर्व। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि बहुत विशिष्ट है । देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। राम ने भी शक्तिपूजा से देवी दुर्गा […]
Read More