Litreture

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नारायण जो हर पल रचते नई कहानी

है अनंत आकाश हमारा घर आंगन. मै चिडिया बन उड़ता रहा गगन में सब दिन| अपने तो मिल सके नहीं पूरे जीवन भर, मै सपने मे सबको अपना मान चुका था ||1|| टूट गया भ्रम जब देखी मैने सच्चाई यहां कागजी नावें चलती हर दरिया में | कश्ती कब पानी मे डूबी समझ न पाया, […]

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तुम्हीं बता दो मेरे ईश्वर

बड़ी कृपा है उस ईश्वर की। बीत गया यह भी दिन बेहतर। पिछला हफ्ता रहा सुखद ही। अगला दिन जाने कैसा हो? दुख सुख के अंतर्द्वद्वों मे। भारी कौन पड़े क्या कम हो? बतला पाना कठिन बंधुवर! प्रति दिन है भूगोल बदलता।। कौन गया है बचा कौन अब। उंगली पर नित नित मैं गिनता।। जो […]

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पुस्तक समीक्षा-संजना,उपन्यास

लेखक : सूर्य नारायण शुक्ल समीक्षक  : बीकेमणित्रिपाठी एक भौतिक विज्ञान के अध्येता का उपन्यासकार होना आश्चर्यजनक है। इनके प्रकाशित चौथे उपन्यास ‘संजना’ को मैने पढ़ा,एक बारगी में पढ़ गया। पुस्तक के शीर्षक की सार्थकता प्रमाणित है,क्योकि समूचा उपन्यास ‘संजना’ नाम की पात्रा के ही इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में पाठको मे अगला वृत्तांत जानने […]

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अच्छाई व बुराई: एक सिक्के के दो पहलू

हमारी व्यवहार कुशलता जीवन का वह दर्पण है, इसका जितना अधिक सदुपयोग किया जाता है, जीवन का प्रकाश उतना ही बढ़ता है। किसी व्यक्ति का मूल्यांकन इससे तय नहीं होता कि वो क्या है, बल्कि इस तथ्य से तय होता है कि वह खुद को क्या बनाने की क्षमता रखता है। इंसान का स्वभाव उसकी […]

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राम लखन सिय सहित विराजति

प्राणिमात्र कर स्वारथ येहू, राम चरण पद पंकज नेहू। रामु सनेहु मन वचन कर्म से, राम भगति अतिशय विवेक से। नर तनु यहु पावन करि लेहू, रघुपति नाम सदा जपि लेहू। मोहि परम प्रिय हैं सिय रामू, यह तनु सौंपि दीन्ह तिन्ह नामू। तनु बिन भाव भजन नहिं होहीं, वेद पाठ श्रुति ज्ञान नहिं पाहीं। […]

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हर अंत की नई शुरुआत होती है,

हर अंत की एक नई शुरुआत होती है, इतना क्यों सोचना जीवन के बारे में, ज़िंदगी देने वाले ने भी तो कुछ सोच रखा होगा नादान इंसान हमारे बारे में। मेहनत करके उसका फल मिलता है, मेहनत से समस्या का हल मिलता है, देर से ही सही, सदकर्मों का फल व प्रभूकृपा से सदा हर […]

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विश्व हिंदी दिवस पर : प्रणव गुंजार है हिंदी

हिंसा से जिसको दुख होता वह है हिंदुस्थान हमारा। और अहिंसा मे जो जीता ऐसा हिंदू नाम हमारा।। प्रेम भाव से विश्व बनाया वह सच्चिदानंद जग पावन। यहां बाल क्रीड़ा करते हैं बारंबार जन्म ले उन्मन।। कभी राम बन कर आता हैं, कभी कृष्ण बन खेल रचाता। गौएं चरा बजाता वंशी । हलधर हो बलराम […]

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चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया-करिये पुनर्विचार

चार राज्य मे चुन लिए जनता ने सरकार। अन्य सभी धूमिल हुए फिर मोदी इस बार।। निज निज पार्टी लोग सब करिये पुनर्विचार। किन किन मुद्दों पर भला वोट पड़ी इस बार।‌।1।‌ 2024 का होगया इस चुनाव मे ट्रेल। भाजपा के पक्ष में होगी रेलम रेल।। झूठ कहे या सच कहे कोई हो सरकार। धर्म […]

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ज्ञान व पैसा बहती धारा के किनारे

चरित्र की महिमा शांत स्थिर होती है आचरण जैसे भी हों अनुसरण होते हैं ज्ञान व पैसा बहती धारा के किनारे हैं एक दूसरे से बिलकुल अलग होते हैं। ज्ञान देना यहाँ सब कोई चाहता है, पर ज्ञान लेना कोई नही चाहता है, वैसे ही पैसा देना कोई नहीं चाहता है, जैसे भी हो लेना […]

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अफ़साना जीने का कितना अजीब है,

हृदय के अच्छे लोग अक़्लमंद होने के बावजूद भी गच्चा खा जाते हैं, इसलिये कि वे सभी पर हृदय से अच्छा होने का विश्वास कर लेते हैं। मैने कभी नहीं सोचा,मैं प्रसिद्धि पाऊँ, आप चार दोस्त मुझे पहचानते हो, मेरे लिए बस इतना ही काफी है कि आप अच्छे से मेरी परवाह करते हो । […]

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