Analysis
Special on 63rd death Anniversary : कलम ही जिनकी तलवार थी! संपादकाचार्य श्रीके रामा राव.
(9 नवम्बर 1896 – 9 मार्च 1961) प्रख्यात संपादक, जानेमाने स्वाधीनता-सेनानी और प्रथम संसद (राज्य सभा) के सदस्य (1952), श्री कोटमराजू रामा राव अपने दौर के अकेले ऐसे पत्रकार थे जो 25 से अधिक दैनिक समाचार पत्रों में कार्यशील रहे। इनमें अविभाजित भारत के लाहौर से प्रकाशित (लाला लाजपत राय का) दि पीपुल (1936), कराची […]
Read Moreमहाशिवरात्री पर विशेष : गरीब-नवाज़ भोले शंकर
के. विक्रम राव शिव सर्वहारा के अधिक प्रिय हैं। गांजा भांग जिसका आहार हो, भूतप्रेत जिसके संगीसाथी हों, तन ढकने के पर्याप्त परिधान भी न हो। ऐसे व्यक्ति को कौन सरमायेदार कहेगा? राजमहल की जगह श्मशान, सिंहासन के बजाय बैल, सर पर न किरीट, न आभूषण। बस भभूत और सूखी लटे-जटायें। शिव गरीब नवाज है। […]
Read More‘लोगों की आलोचनाओं से मिलने वाले दुःख से कैसे बचें?’
क्या आपने ग़ौर किया है कि क्रिकेट के किसी कप्तान की अल्पकालिक असफलता से आलोचनाओं के कई द्वार खुल जाते हैं। कई पूर्व खिलाड़ी, जो उस कप्तान की तुलना में कहीं नहीं ठहरते; उनकी कप्तानी पर उंगली उठाने लगते हैं। इतना ही नहीं, हर गली में अमूमन ऐसे एक अथवा दो क्रिकेट पंडित तो मिल […]
Read Moreपिया का फोन रंगून से आता था! आज आसमान से, मगर कैसे?
के. विक्रम राव क्या उत्थान, फिर पतन रहा भारतीय दूरसंचार का ! पिछले दिनों सरकारी फोन विभागीय कार्मिकों के साथ था। व्यथा गाथा सुनी। मुझे अपनी तरुणावस्था का दौर याद आया। काला चोगा होता था। आठ इंच लंबा-चौड़ा यह भाष्य यंत्र जिस घर में रहता था उसकी प्रतिष्ठा मोहल्ले में ऊंची होती थी। मेरे स्मृति […]
Read Moreप्रधानमंत्री जिसे भाग्य ने ठगा! मगर था वह अद्भुत, लासानी!!
के. विक्रम राव अंकगणितीय तरीके से मोरारजीभाई देसाई केवल एक चौथाई बार ही वर्षगांठ मना पाए। वे 29 फरवरी 1896 को जन्मे थे। यह तारीख चार साल बाद ही आती है। कल पड़ी थी। वे अपना शताब्दी वर्ष भी नहीं मना पाए। उनका निधन हुआ जब वह 99 वर्ष के थे। इतिहास याद रखेगा कि […]
Read Moreएक उपेक्षित उपन्यासकार की बरसी!
के. विक्रम राव पिछली सदी में एक साहित्यसेवी हुये थे। नाम था ”कान्त”। कुशवाहा कान्त। पाठक उनके असंख्य थे। सभी उम्र के। गत वर्ष के नौ दिसम्बर पर उनकी 103वीं जयंती पड़ी थी। विस्मृत रही। आज (29 फरवरी) उनकी जघन्य हत्या की 70वीं बरसी होगी। भरी जवानी में वे चन्द प्रतिद्वंदियों की इर्ष्या के शिकार […]
Read Moreआस्था से खिल्ली न करें ! संवेदना से फूहड़पन होगा!!
के. विक्रम राव मान्य अवधारणा है की दैवी नाम केवल मनुष्यों को ही दिए जाते हैं। मगर सिलिगुड़ी वन्यप्राणी उद्यान में शेर और शेरनी का नाम अकबर और मां सीता पर रख दिया गया। भला ऐसी बेजा हरकत किस इशोपासक को गवारा होगी ? अतः स्वाभाविक है कि सनातन के रक्षक विश्व हिंदू परिषद ने […]
Read Moreस्मृति शेष : हिंदी के वैश्विक उद्घोषक, बहुत याद आयेंगे अमीन सयानी
संजय तिवारी (21 दिसंबर 1932 – 20 फरवरी 2024) विश्व में हिंदी के लोकप्रिय रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी अब नहीं रहे। अपनी आवाज में यादों का सागर छोड़ कर उन्होंने विदा ले ली है। उन्होंने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसिद्धि और लोकप्रियता हासिल की जब उन्होंने रेडियो सीलोन के प्रसारण पर अपने बिनाका गीतमाला कार्यक्रम […]
Read Moreगुलजार को मंडित करके विद्यापीठ ऊंचा हो गया!
के. विक्रम राव मुकफ्फा (अनुप्रास) विधा के लिए मशहूर सिख शायर, पाकिस्तान से भारत आए, एक बंगभाषिनी अदाकारा राखी के पति सरदार संपूरण सिंह कालरा उर्फ गुलजार को प्रतिष्ठित पुरस्कार देकर श्रेष्ठ संस्था भारतीय ज्ञानपीठ ने हर कलाप्रेमी को गौरवान्वित किया है। भारतीयों को इस पर नाज है। वस्तुतः हर पुरस्कार गुलजार के पास आते […]
Read Moreमुंबई की शाम, पुष्पाजी के नाम! व्यास सम्मान समारोह पर!!
के. विक्रम राव मुंबई में डॉ. पुष्पा भारती को जब व्यास सम्मान से कल (11 फरवरी 2024) नवाजा गया तो कई यादें फिर उकेरी गईं, उकेली भी। ठीक उनकी पुरस्कृत रचना “यादें, यादें, यादें” की भांति। उपलक्ष्य और उपलब्धि में बड़ा तालमेल रहा। जब केके बिडला फाउंडेशन के निदेशक सुरेश रितुपर्ण डॉ. पुष्पा भाभी को […]
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