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स्वतः संज्ञान जैसी अवधारणा से फैली आमजन में न्याय की आशा

लेखक भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति जी के विशेष कार्य अधिकारी रह चुके हैं. आप अहिंसा आयोग और अहिंसक सभ्यता के पैरोकार हैं। स्वतः संज्ञान की अवधारणा एक मौलिक ताकत है। यह अवधारणा जब विकसित हुई तब इसके उपयोग उस मात्रा में नहीं हुए जितना होना चाहिए लेकिन जब देश और दुनिया में अनेकों ऐसे […]

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मानवाधिकार आयोग की उत्कृष्ट रैंकिंग से बढ़ा भारत का सम्मान

भारत के लोगों को खुश होना चाहिए कि हमारे देश के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को ग्लोबल एलायंस ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूट द्वारा ए ग्रेड से नवाजा गया है। किसी भी देश के लिए यह गरिमा की बात है और गर्व की बात है कि उसके देश के मानवाधिकारों को संवर्धित करने वाली संस्था […]

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हिंदी रंगमंच पर तनिक ख्याली पुलाव!

अब मुंबई, अहमदाबाद, बड़ौदा और हैदराबाद में थ्येटर पर कुछ मेरी अपनी की गई रिपोर्टिंग का संदर्भ भी दे दूं। यह आवश्यक है ताकि सनद रहे। साक्ष्य और सबूत प्रस्तुत कर दूं कि आखिर एक मुझ जैसे बुद्धिकर्मी, श्रमजीवी की थ्येटर पर टिप्पणी हेतु अर्हता क्या है ? बात सितंबर 1958 की है लखनऊ विश्वविद्यालय […]

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हिंदी रंगमंच पर तनिक ख्याली पुलाव !!

“विश्व थ्येटर दिवस” पर आज (27 मार्च 2023) मेरा मस्तिष्क कुलांचें भर रहा है। कब वह मनोरम दौर, कम से कम वह शुभ पल, आएगा जब लखनऊ में हिंदी नाटकों के दर्शक अग्रिम बुकिंग कराया करेंगे। तरक्की तब दिखेगी जब उसके टिकट काला बाजार में बिकेंगे। जैसे दादर-मुंबई में मराठी-गुजराती के दर्शकों के साथ होता […]

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सांसदी गयी तो क्या, रेटिंग तो बढ़ी

डॉ. ओपी मिश्र भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व या उनके कार्यकर्ता अपनी पीठ लाख थपथपायें या कहें कि अब राहुल गांधी पूर्व सांसद हो गए हैं लेकिन हकीकत यह है कि सांसदी खोने के बावजूद आज राहुल गांधी ‘पेज वन’ का समाचार है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पदयात्रा में राहुल गांधी को इतना […]

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भाजपा का मजबूत विकल्प बनने का मुहूर्त अभी नहीं!

कांग्रेस का पुराना नारा कि “सेक्युलरवाद बचाओ” अब बेसुरा हो गया है। सभी दल कभी न कभी भाजपा से मेलजोल कर चुके हैं। हमाम में सभी डुबकी लगा चुके हैं। परिणामत : समाजवादी पार्टी तथा तृणमूल कांग्रेस भी अब गंगाजमुनी नारे से सत्ता की डगर नहीं पकड़ पाएंगी। फिर नरेंद्र मोदी कोई पितामह भीष्म तो […]

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भाजपा का मजबूत विकल्प बनने का मुहूर्त अभी नहीं!

तीसरा मोर्चा के प्रयास के मायने हैं कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी तीसरी बार भी प्रधानमंत्री चुन लिए जाएंगे। निश्चित तौर पर, यकीनन। यह ध्रुव सत्य है, अटल कथन भी। अब बंगालन शेरनी और सैफाई के यदुवंशी योद्धा को नए बनते बिगड़ते सियासी समीकारणों को सम्यक तौर पर समझना होगा। गैर-भाजपायी मोर्चा और सत्तासीन पार्टी के […]

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अब समय के साथ बदल रहा है आजादी का मतलब

कैसा विक्षोभ, वितृष्णा, विरूप, विकृति, विषाद की अनुभूति होती है आज (23 मार्च 2023) ! शहीदे आजम का बलिदान दिवस है। समाजवाद के सूरज लोहिया की जयंती है। मगर अतीव ग्लानि होती है यह बोध होने पर कि बमुश्किल शून्य दशमलव एक प्रतिशत (केवल तीस हजार) भारतीय ही ब्रिटिश साम्राज्य से लड़े थे। तब (1930 […]

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जहाँ भी अन्याय, जुल्म और अनाचार है उसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज भगत सिंह है

बलिदान दिवस पर याद किए गए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव लखनऊ। शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के बलिदान दिवस पर आयोजित संगोष्ठी-मजदूर आन्दोलन और भगत सिंह में आज अमर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कर्मचारी नेता अमर नाथ यादव ने की और संचालन रीना त्रिपाठी ने किया। […]

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भगत सिंह: आजादी के इस मतवाले के कितने रूप

यशोदा श्रीवास्तव जब हम तथाकथित प्रगतिशील लेखक की एक बहुचर्चित फिल्म देखते हैं तो जान पाते हैं कि गांधी का हत्यारा गोडसे इस गुस्से में गांधी का कत्ल कर देता है कि गांधी ने भगत सिंह को फांसी से बचाने का कोई उपाय तो नहीं ही किया, अंग्रेज हुकूमत के इस क्रूरतम कृत्य की निंदा […]

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