Litreture

Litreture

कविता : प्रभुता व प्रतिभा

प्रभुता पाई काहि न मद होई, प्रतिभा पाई सदा यश होई, असफलता से बात न बनती, पाई सफलता आराम न होई। भाग्य से मिली सफलता कैसी, बिन गुरू ज्ञान की प्रतिभा जैसी । मिले न प्रतिभा बिन अवसर के, निज कृत क़र्म जीवन की जैसी । सुंदर संदेश छिपा कविता में, जीवन की राहों में […]

Read More
Litreture

कविता : अभिमान, स्वाभिमान

जन्म से लेकर मृत्यु तलक का सफ़र बहुत ही लम्बा है, बचपन से वृद्धावस्था तलक जीवन का सफ़र झरोखा है। मेरा तेरा करते करते हम सबने सारी उम्र बितायी है, मेरा तेरा ना छोड़ सका कोई, मन से मन न मिला सका कोई। मंज़िल मन से मन मिलने की, सारी उम्र से ज़्यादा लम्बी है, […]

Read More
Litreture

विश्व ह्रदय दिवस: भारत स्वच्छता दिवस

विश्व हृदय दिवस की आज बधाई है, आज ही भारत स्वच्छता दिवस भी है, आइये मिलकर सब कोशिश करें, हृदय निर्माल्य पर भी तनिक ध्यान दें‌। निन्दा, शिकवा, वैर और वैमनस्य, उच्च – नीच, छोटा – बड़ा, ज्ञानी- अज्ञानी सभी मैल को निकाल दें, अपने अपने हृदय को स्वच्छ करें। तनावमुक्त होकर यह जीवन जियें, […]

Read More
Litreture

कविता : जीवन पल दो पल का खेला है

इक पल हक़ में हो होता है तेरे, इक पल ख़िलाफ़ हो जाता है, जीवन पल दो पल का खेला है, दुनिया आते जाते का मेला है। हक़ में हो तो ग़ुरूर मत करना, ख़िलाफ़ हो तो बस सब्र करना, जीवन सुख दुःख का इक रेला है, लाद लिया इस गठरी का ठेला है। दुनिया […]

Read More
Litreture

अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस आज है,

बेटियों, बहनों, माताओं सबका अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस आज है, मातृशक्ति वंदन क़ानून बना है, आप सभी को अनंत बधाईयाँ हैं। आधी आबादी को पचास प्रतिशत आरक्षण अधिकार मिलना चाहिये, जिसकी जितनी जनसंख्या, उसको उतनी ही भागीदारी मिलनी चाहिये। आरक्षण जैसी यह आवश्यकता, आख़िर क्यों आन पड़ी भारत में है, विभिन्न जाति-वर्ग-भाषा के लोग हैं, पर […]

Read More
Litreture

अपना गाँव-अपना बचपन

एक मील लम्बा बसा गाँव मेरा, नाव सथनी बाला खेड़ा, कई एक नाई काका, कई एक बढ़ई काका, माली काका, और कई एक लुहार काका, कुम्हार और हलवाई काका, कच्चे पक्के घर थे, लम्बा गलियारा, हर मनई बहुतै दिलदार था, एक मील लम्बा बसा गाँव मेरा …..। कही भी किसी के घर खा लेते, हर […]

Read More
Litreture

कविता : कर्म योग एवं आत्म-दर्शन

छिति, जल, पावक, गगन, समीर, पाँच तत्व मिल बना अग़म शरीर, सत, रज, तम गुण मानव तन के, मन रहता इनसे ही अति अधीर । गीता ज्ञान यही देता है, क़र्म योग कर देता है जीवन का नीर छीर, भौतिक चका-चौंध का घना तिमिर उपजाता है सुख-पीर । राग, द्वेष, इच्छा, घमंड, सुख- दुःख, धैर्य […]

Read More
Litreture

कविता : झूठे बोल अमीर के जी हाँ जी हाँ होय

कही जो बात गरीब ने सत्य न माने कोय। झूठे बोल अमीर के जी हाँ, जी हाँ होय॥ मान नहीं इंसान का धन पद का है होत। सत्य झूठ की जाँच भी धन पद से ही होत। सर्दी गर्मी देखकर वस्त्र बदलते लोग, हर स्थित के वस्त्र हों ऐसा हो संयोग। ऐसी मर्ज़ी प्रभू की […]

Read More
Litreture

कविता: ललित कला और काव्य-कौमुदी

ललित कला है प्रवीणता, तो भावों का उद्गार है कविता, वैचारिक साधना है कविता, ईश्वर प्रदत्त उपहार है कविता। शृंगार, करुण, वीभत्स, वीर रस, अद्भुत, रौद्र, भयानक, शान्त रस, वात्सल्य प्रेम व भक्ति विनय रस, कवि की रचना के हैं यश अपयश। रस धार बने जैसे कविता की, आभूषित अलंकार कर देते, शब्द, अर्थ के […]

Read More
Litreture

हर्ष हर्ष कह उठे तिरंगा जब लहराया

जब जनता जग गई देश की। भारत तब आजाद हुआ है।। क्रूर कंस द्वापर युग में था। पिता कैद कर गद्दी बैठा। सगी बहन को प्रेम भाव से- करने चला विदाई वह था। नभ से तब होगई गर्जना। तेरी मृत्यु‌ निकट है आई। भरा जेल बसुदेव देवकी, संतानों की उसने बलि ली। गांव गांव मे […]

Read More