Litreture
कविता : परम शत्रु भी मित्र बन जाते हैं,
बड़े बड़े महलों को ढहते देखा है, उन महलों में रहने वालों को देखा है, भूखे प्यासे दर दर भटकते देखा है, उनकी संतान अनाथ होते देखा है। सुखदुःखदो न चान्योऽस्ति यतः स्वकृतभुक्पुमान् ॥ कोई दूसरा किसी को सुख दुःख देने वाला नहीं होता है, प्रत्येक मनुष्य अपने किए हुए कर्म का फल स्वयं भोगता […]
Read Moreकविता : वादा दिवस, पतिदेव की कहानी
वादा करो कि बेलन का उपयोग चपाती बनाने के लिये ही करोगी, वादा दिवस, पति देव की कहानी सुनिये कहानी उन्हीं की ज़ुबानी। प्रेम विवाह और उनकी ज़िंदगी, घर से भाग कोर्ट में कर ली शादी, कुछ दिन मौजें, फिर शुरू झगड़े, प्रेम भूत उतरा और बोल बिगड़े। ये भी पढ़ें कविता : हरि नाम […]
Read Moreकविता : हरि नाम सदा जपिये जपिये
हृदय और मस्तिष्क दोनों ही उस परमात्मा के घर होते हैं, कूड़े करकट से मत भरिये, इन्हें स्वच्छ रखिये रखिये॥ प्रभु का घर यह पावन मन, दुरभाव-द्वेष न इसमें भरिये, फिर से नर देह मिले न मिले, प्रभु नाम यहाँ धरिये धरिये॥ ये भी पढ़ें कविता : उधार का एहसान श्रुतियुक्त नीति अपनाइयेगा, सत्कर्म धर्म सदा […]
Read Moreकविता : हे पाहि पाहि दातार हरे
हे भोलेनाथ कृपालु हरे, शिव शम्भू हे औढरदानी। दयालु हृदय हे करुणाकर, महादेव की अकथ कहानी॥ निमिषमात्र, नवनिधि दाता हैं, दयानिधि भोले हैं महा दानी। शशि शेखर जय त्रिशूलधर, जय प्रेमस्वरूप, गिराज्ञानी॥ महा अकिंचन जनमन रंजन शिव परम पूज्य, हे उदार हरे। गोतीत हरे, पार्वतीपति हर हर, हे शंकर शम्भो, दातार हरे ॥ आशुतोष अवढ़र […]
Read Moreकविता : क्या वास्तव में ये जीवनसाथी हैं,
हमारे माता-पिता, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री, मित्र, सगे सम्बन्धी, क्या वास्तव में ये जीवनसाथी हैं, नहीं, जीवनसाथी तो शरीर है । शरीर साँसे लेना बंद कर देता है, तब कहाँ कोई भी साथ देता है, हमारा शरीर ही केवल जन्म से मृत्यु तक, हमारे साथ होता है। जितना शरीर की देखभाल करेंगे, उतने ही हम सुखी व […]
Read Moreकविता : उधार का एहसान
दोस्ती और रिश्तेदारी में उतने पैसे ही उधार देना चाहिये जितने उधार देकर बस भूल जाने की सामर्थ्य हो, दोस्त या रिश्तेदार खोने का मन हो। हमारी सनातन से पृथा है आयु में बड़ों को सम्मान किया जाता है, अब थोड़ा सा फर्क आ गया है, आय में बड़े का सम्मान होता है। पर अब […]
Read Moreओशोवाणी: सही जीवन जीने के लिए कैसे बढ़ाएं कदम, जानें रोचक प्रसंग से,
आदमी चाहे तो पशुओं से नीचे गिर जाए और चाहे तो देवताओं से ऊपर उठ जाए। लेकिन ऊपर उठने में चढ़ाई है और चढ़ाई श्रमपूर्ण है। नीचे उतरने में ढलान है, श्रम नहीं लगता। इसलिए आदमी नीचे की तरफ जाना आसान पाता है। जैसे कि कार अगर पहाड़ी से नीचे की तरफ आ रही हो […]
Read Moreरामचरित मानस की राह
- Nayalook
- February 8, 2023
- #bhrikuti
- #maryada shriram
- man
- woman
ऐसी भृकुटी तानिये, डट कर नज़र मिलाय। ना जाने किस मोड़ पर, प्रभु द्रोही मिल जाय॥ बड़े बड़ाई ना करैं, बड़े न बोलैं बोल। रहिमन हीरा कब कहे, लाख टका मेरो मोल॥ छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात। का रहीम हरि को घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥ ‘सही मार्ग पर नहीं है प्राचीन ग्रंथों […]
Read Moreपरेशान है तो भुक्तभोगी जनता
विजय मलैया, नीरव मोदी व मेहुल चौकसी जैसे अमीरों के घोटालों की है यह एक कहानी, पंद्रह हज़ार की कार थी पुरानी। कार खरीदा भी पंद्रह हज़ार में, और फिर ऑन रिकार्ड कार की कीमत दिखालाई पचास हज़ार, बैंक लोन लिया पैंतालीस हज़ार। लिया क़र्ज़ न भरने से बैंक में उन्हें तब डिफॉल्टर दिखलाया गया, […]
Read Moreहमने बिसराया और दुनिया ने अपनाया
बात 1959 या 60 की है। भारत के लेखकों का एक प्रतिनिधिमंडल ईरान गया था। उस समय ईरान में शाह का शासन था और भारतीय प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रमों में ईरान के शाह से भी मिलने का कार्यक्रम था। शाह से मुलाकात के दौरान एक भारतीय लेखक ने कहा- ” हमारी लंबी गुलामी ने हमें आर्थिक […]
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