#ultimate enemy
Litreture
कविता : परम शत्रु भी मित्र बन जाते हैं,
बड़े बड़े महलों को ढहते देखा है, उन महलों में रहने वालों को देखा है, भूखे प्यासे दर दर भटकते देखा है, उनकी संतान अनाथ होते देखा है। सुखदुःखदो न चान्योऽस्ति यतः स्वकृतभुक्पुमान् ॥ कोई दूसरा किसी को सुख दुःख देने वाला नहीं होता है, प्रत्येक मनुष्य अपने किए हुए कर्म का फल स्वयं भोगता […]
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