relatives

Analysis

सपनों के सौदागर

जग नभ वाटिका रही है फल फूलि रे- तुलसीदास दिवास्वप्न मे बीत रहे रात और दिन गोस्वामी तुलसीदास ने छ: सौ साल पहले विनय पत्रिकामे लिखा..” जग नभ वाटिका रही है फल फूलि रे। धुंआ कैसे धौरिहरि देखि तू न भूलि रे।”.. विनय पत्रिका संसार ख्याली बगीचा है देखने मे बड़ा आकर्षक। पर यह ऐसे […]

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Litreture

कविता : क्या वास्तव में ये जीवनसाथी हैं,

हमारे माता-पिता, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री, मित्र, सगे सम्बन्धी, क्या वास्तव में ये जीवनसाथी हैं, नहीं, जीवनसाथी तो शरीर है । शरीर साँसे लेना बंद कर देता है, तब कहाँ कोई भी साथ देता है, हमारा शरीर ही केवल जन्म से मृत्यु तक, हमारे साथ होता है। जितना शरीर की देखभाल करेंगे, उतने ही हम सुखी व […]

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