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Litreture

रामचरित मानस की राह

ऐसी भृकुटी तानिये, डट कर नज़र मिलाय। ना जाने किस मोड़ पर, प्रभु द्रोही मिल जाय॥ बड़े  बड़ाई ना  करैं, बड़े  न  बोलैं बोल। रहिमन हीरा कब कहे, लाख टका मेरो मोल॥ छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात। का रहीम हरि को घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥ ‘सही मार्ग पर नहीं है प्राचीन ग्रंथों […]

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