#lifelong

Litreture

काँटा काँटे से निकाला जाता है,

आग इतनी लगी है यहाँ कि, इन्सान इन्सान से जलता है, पूजा तो भगवान की करता हूँ, क़त्ल सुंदर फूलों का होता है। जाता हूँ मंदिर में पुण्य कमाने, पर पाप करके ही तो आता हूँ, गुनाह की क्षमा प्रभु से माँगता हूँ, पर दूसरा गुनाह करके आता हूँ। जीवन एक नाटक बन गया है, […]

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Litreture

कविता : परम शत्रु भी मित्र बन जाते हैं,

बड़े बड़े महलों को ढहते देखा है, उन महलों में रहने वालों को देखा है, भूखे प्यासे दर दर भटकते देखा है, उनकी संतान अनाथ होते देखा है। सुखदुःखदो न चान्योऽस्ति यतः स्वकृतभुक्पुमान् ॥ कोई दूसरा किसी को सुख दुःख देने वाला नहीं होता है, प्रत्येक मनुष्य अपने किए हुए कर्म का फल स्वयं भोगता […]

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बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद, नासमझी से ही होते हैं सारे फ़साद, कई काग़ज़ एक में नत्थी करना है, तो नुकीली पिन चुभोना ही पड़ता है। परिवार को जोड़े रखना भी अदरक के कड़वे स्वाद को चखने जैसा ही होता है, उसे ही यह स्वाद लेने का कष्ट होता है, जिसे परिवार जोड़ कर […]

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