

विजय मलैया, नीरव मोदी व
मेहुल चौकसी जैसे अमीरों के
घोटालों की है यह एक कहानी,
पंद्रह हज़ार की कार थी पुरानी।
कार खरीदा भी पंद्रह हज़ार में,
और फिर ऑन रिकार्ड कार की
कीमत दिखालाई पचास हज़ार,
बैंक लोन लिया पैंतालीस हज़ार।
लिया क़र्ज़ न भरने से बैंक में उन्हें
तब डिफॉल्टर दिखलाया गया,
बैंक ने ज़ब्त कर नीलाम की कार
कीमत मिली केवल बारह हज़ार ।
बैंक को चूना लगा तैंतीस हज़ार का
ऐसे ही घोटाले लगातार होते आये हैं,
अमीर लोग ये घोटाले करते रहते हैं,
और फिर देश छोड़ कर चले जाते हैं।
बैंक बिना वसूली के रह जाते हैं,
और घोटाले के पैसे कुछ समय
बाद बट्टे खाते में डाल दिये जाते हैं,
हम, तुम खुश और वो भी खुश हैं।
महंगाई, दलाली, भ्रष्टाचार खुश,
परेशान है तो भुक्त भोगी जनता,
और केवल जनता, आदित्य जिसके,
टैक्स का होता है यह बैंकों का पैसा।