Litreture
मेरी रचनायें मेरी कवितायें,मन की पुकार
जब तक साँस है तब तक आस है, प्रेम है प्यार है संघर्ष और खटास है, मेल है मिलाप है, दुआ और श्राप है, बुराई भी भलाई भी और संताप है । भाव हैं, कुभाव है, स्नेह, दुर्भाव हैं, हार है, जीत है, मंज़िल है पड़ाव हैं, मिलन है विरह है, घर व वनवास है, […]
Read Moreस्मृतियों का एहसास कराती है,
स्मृतियों की सुखद याद बेलों की तरह हृदय में जड़ें जमाती रहती हैं, कालान्तर में यह बेलें उपवन बन, स्मृतियों का एहसास कराती रहती हैं। स्मृतियाँ ये सुखद फलों की जिस मिठास की तब अनुभूति कराती हैं, आजीवन के लिये अंतर्मन में अपनों की स्नेहिल प्रतिमायें रच-बस जाती हैं। जीवन में सब कुछ अस्थायी होता […]
Read Moreकविता : जब माता पिता नहीं रह जाते हैं
किसी की अकस्मात मृत्यु बहुत ही पीड़ादायक होती है, एक पुत्र माता पिता के न रह जाने पर उनको कैसे खोजता है, उसकी मन:स्थिति उसे कैसे अविचलित व्यक्त करती है। स्वप्न बहुत ही अनोखे और विस्मयकारक भी होते हैं, अक्सर अपने न रहने के बाद अपनो को स्वप्न में दिख जाते हैं, ऐसे ही स्वप्न […]
Read Moreकविता : सबका मालिक एक है,
ब्रह्माण्ड रचयिता ने अपने सृजन में, विश्व के कुछ देवदूतों को चुना होगा, विविधता से युक्त धर्मों व पंथों का पर्यटक अग्रदूत बनाकर भेजा होगा। उसके उद्देश्य विश्व के मानव जगत में, शान्ति व सौहार्द की स्थापना रहे होंगे, और यही दूत पर्यटन के साथ शान्ति सौहार्द के संदेश लेकर निकले होंगे। कालांतर में धर्म […]
Read Moreकविता : ‘छोड़ो यार’ का सिद्धांत सरल है,
- Nayalook
- October 1, 2022
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‘छोड़ो यार’ कितने सुंदर लफ़्ज़ हैं, इन लफ़्ज़ों का महत्व समझ ले जो, उसके जीवन में कभी न कोई दुःख होगा, और न ही कभी कोई पछतावा होगा। किसी को एक दो बार मनाने की कोशिश करिये तब भी ना माने तो, ‘छोड़ो यार’ का सिद्धांत सरल है, बस ‘छोड़ो यार’ कह देना सरल है। […]
Read Moreमाँ दुर्गा स्तुति
मैया शैलसुता ब्रह्मचारिणी माँ, चंद्रघंटा देवी कुशमांडा माता, स्कन्दमाता कात्यायिनी माता, कालरात्रि, महागौरी सिद्धिदात्री माता का आवाहन करिये करिये। युग पाणि जुड़े हैं विनती में, हे मातु दया करिये करिये, अभिमान मिटे तन का मेरे, तन कष्ट मेरा हरिये हरिये। लक्ष्मी, दुर्गा तुम सरस्वती,माँ, तुम हो महिसासुर मर्दिनि माँ, धरती के सब पाप हरिए हरिये, […]
Read Moreप्रेम एवं परवाह
प्रेम और परवाह इस जीवन के अनुपम उपहार होते हैं, सारे मानव, सारे जीव, सारे वनस्पति इनके हक़दार होते हैं। सबको प्रेम व परवाह मिले, सारे जग की यही रीति हो, पर सबको सबसे प्रेम, परवाह मिले, इसकी न कोई उम्मीद हो। नज़दीकी बढ़ने से मिल जाती हैं यूँ ही कुछ चीज़ें जीवन में, जैसे […]
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