malice

Litreture

कविता : कर्म योग एवं आत्म-दर्शन

छिति, जल, पावक, गगन, समीर, पाँच तत्व मिल बना अग़म शरीर, सत, रज, तम गुण मानव तन के, मन रहता इनसे ही अति अधीर । गीता ज्ञान यही देता है, क़र्म योग कर देता है जीवन का नीर छीर, भौतिक चका-चौंध का घना तिमिर उपजाता है सुख-पीर । राग, द्वेष, इच्छा, घमंड, सुख- दुःख, धैर्य […]

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मेरी रचनायें मेरी कवितायें,मन की पुकार

जब तक साँस है तब तक आस है, प्रेम है प्यार है संघर्ष और खटास है, मेल है मिलाप है, दुआ और श्राप है, बुराई भी भलाई भी और संताप है । भाव हैं, कुभाव है, स्नेह, दुर्भाव हैं, हार है, जीत है, मंज़िल है पड़ाव हैं, मिलन है विरह है, घर व वनवास है, […]

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