‘छोड़ो यार’ कितने सुंदर लफ़्ज़ हैं,
इन लफ़्ज़ों का महत्व समझ ले जो,
उसके जीवन में कभी न कोई दुःख होगा,
और न ही कभी कोई पछतावा होगा।
किसी को एक दो बार मनाने की
कोशिश करिये तब भी ना माने तो,
‘छोड़ो यार’ का सिद्धांत सरल है,
बस ‘छोड़ो यार’ कह देना सरल है।
अगर आपका तालमेल न बनता हो,
सबसे बना के रखना नही सम्भव हो,
किसी से रूख मिलाना जटिल है,
‘छोड़ो यार’ का सिद्धांत सरल है।
आपके बच्चे जब बड़े हो जाते हैं,
आपके जूते उनके पैर में आ जाते हैं,
अपनी बात उन पर नहीं थोपना है,
‘छोड़ो यार’का सिद्धांत मान लेना है।
जब हम वरिष्ठ नागरिक हो जाते हैं,
तब कोई कितनी करता निन्दा है,
हम क्यों कर होते तब शर्मिन्दा हैं,
‘छोड़ो यार’ का सिद्धांत ज़िन्दा है।
जब कभी एहसास हमें हो जाता है,
कुछ अपने हाथ में नहीं रह जाता है,
तब सब चिंता फ़िक्र छोड़ देना है,
‘छोड़ो यार’ का सिद्धांत मानना है।
जब हमारी इच्छायें और क्षमतायें,
आपस का तारतम्य नहीं रख पाती हैं,
जब दोनो का अन्तर ज़्यादा हो जाता है,
‘छोड़ो यार’ का सिद्धांत सरल हो जाता है।
हर शख़्स के जीवन की राहें, फ़र्क़ उम्र का,
जीने का तरीक़ा, अलग अलग होता है,
जीवन जीने का स्तर अलग अलग होता है,
तब ‘छोड़ो यार’का सिद्धांत सरल होता है।
जीवन से अनुभूति ख़ज़ाना हम
सबको हर क्षण मिलता रहता है,
आदित्य हर दिन की कमाई क्या गिनिये,
बस ‘छोड़ो यार’ सिद्धांत सरल कहिये।