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Litreture
कविता : मदद करना सामाजिक दायित्व
कभी कभी मैं भिक्षुक बन जाता हूँ, अपने लिये नहीं पर मैं कुछ माँगता हूँ, सबके लिये सबकी मदद के लिये, कुछ न कुछ कभी कभी माँग लेता हूँ। कभी कुछ सामूहिक याचना करता हूँ, कभी सबके, कभी जनहित के लिये, अक्सर मैं हर किसी से मदद माँगता हूँ, कोई मदद करे न करे पर […]
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Litreture
प्रेम एवं परवाह
प्रेम और परवाह इस जीवन के अनुपम उपहार होते हैं, सारे मानव, सारे जीव, सारे वनस्पति इनके हक़दार होते हैं। सबको प्रेम व परवाह मिले, सारे जग की यही रीति हो, पर सबको सबसे प्रेम, परवाह मिले, इसकी न कोई उम्मीद हो। नज़दीकी बढ़ने से मिल जाती हैं यूँ ही कुछ चीज़ें जीवन में, जैसे […]
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