Litreture
कविता : एक व्यथा कथा
जब मुझे पर्याप्त आत्मविश्वास मिला तो मंच खत्म हो चुका था, जब मुझे हार का यकीन हो गया मैं अप्रत्याशित रूप से जीत गया था। जब मुझे लोगों की जरूरत थी, तब उन्होंने मुझे छोड़ दिया था, जब रोते हुये मेरे आँसू सूख गए तो सहारे के लिए कंधा मिल गया था। जब मैंने नफरत […]
Read Moreकविता : निंदा यानी Critisizm
- Nayalook
- November 9, 2022
- #karma
- corruption
- person
- Theft
- violence
निन्दक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय। ऋग्वेद में संदर्भित कर कहा गया है, दूसरों की निंदा करने से दूसरों का तो नहीं परंतु निन्दक का खुद का नुकसान अवश्य ही होता रहता है। निंदा औरों की करने से मनुष्य की अपनी बर्बादी की शुरुआत होती है, अपनी आदत […]
Read Moreतू पात-पात, मैं घुमूँ डाली-डाली
दसवीं फेल आज घूम रहे हैं, बीएमडब्ल्यू जैसी लम्बी कारों में, पढ़े लिखे अब रिक्शा चलाते, सवारियाँ ढोते दिखते बाज़ारों में। शिक्षक आज न शिक्षा दे पाते, चुनाव ड्यूटी में उलझे रहते हैं, मतदाता सूची में हेर-फेर कर, नेता नगरी के बन जाते चमचे हैं। स्वर्ग जाने हेतु खुद ही मरना पड़ता है अस्पताल में […]
Read Moreराम और माता शबरी का मार्मिक संवाद, पढ़कर भर आएंगी आंखें
शबरी बोली, यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते?” राम गंभीर हुए। और कहा, कि”भ्रम में न पड़ो माते ! राम क्या रावण का वध करने आया है? … अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चला कर कर सकता है। राम हजारों कोस चल […]
Read Moreस्वर्ग जाने हेतु खुद ही मरना पड़ता है
काँटे से काँटा खुद ही निकालना पड़ता है, स्वर्ग जाने के लिये खुद ही मरना पड़ता है। दुखों से जूझकर ही सुख मिलता है, तिमिर बीत जाने पर प्रकाश होता है। विगत निशा, तो अरुणोदय होता है, जन्म तो मृत्यु, और पुनर्जन्म होता है। मनुष्य जीवन सचमुच अनमोल होता है, लाखों योनियाँ भटक कर प्राप्त […]
Read Moreजो निर्णय मुश्किल में लिये जाते हैं
राजनीति उनके लिये ही अच्छी है, जो इसमें रह कर आनंद ले रहे हैं, उन लोगों के लिए तो मुश्किल है, जो समुचित विश्लेषण कर रहे हैं। उन लोगों के लिए तो सबसे खराब है, जो इसकी गंदगी, धूर्तता और व्याप्त अवसरवादिता की आलोचना करते हैं, परंतु इससे दूर रहने वाले स्वतंत्र रहते हैं। वैसे […]
Read Moreभेज रहा हूँ नेह निमंत्रण तुलसी मैया के विवाह में
भेज रहा हूँ नेह निमंत्रण प्रियवर तुम्हें बुलाने को, तुलसी मैया के विवाह में, आप सभी को आने को। भेज रहा हूँ नेह निमंत्रण…. पहला न्योता प्रथम पूज्य को श्रीगणपति जी विघ्नहरण को दूजा न्योता माँ अन्नपूर्णा को, भरा रहे घर का भंडार सब को। भेज रहा हूँ नेह निमंत्रण…. तीसरा न्योता श्री सीता राम […]
Read Moreकविता : जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद, शयनशैया से शेषशैया बिराजो हरि, जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद। जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद॥ जागो बैकुंठपति, जागो गरूड़ध्वज, जागो कमलापते, जागो लक्ष्मीपते, जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद । जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद॥ जागो त्रिलोकपति, जागो नारायण हरि, सम्भालो ये तीनों लोक, मंगल करो हरि, जागो गोविंद हरि, जागो […]
Read Moreरावण को उसी के ‘मैं’ ने था मारा
तुम्हें लगता है मैंने अहंकारवश श्रीराम से युद्ध किया, लक्ष्मण, मृत्युशैया पर पड़े नाभि में रामबाण लिए कष्ट के साथ बोला रावण। हाँ रावण अहंकार ने ही तुझे ये गति दी, श्रीराम भैया ने ही मुझे आदेश दिया, आपसे शिक्षा प्राप्त करने का वरना, मैं अंत समय में आपके पास न आता। रावण ने हँसते […]
Read Moreकविता : मेरी छत पर ये तिरंगा रहने दो
मेरा दीपक हवा के खिलाफ कैसे और क्यों कर जलता है, क्योंकि मैं तो अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में शोर मत मचाओ, जाति धर्म के रंग में मत बाँटो मेरी छत पर ये तिरंगा रहने दो। रावण दहन के पहले रावण का निर्माण हम सब स्वयं करते हैं, आश्चर्यजनक है कि अपने अंदर छिपे […]
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