नारायण जो हर पल रचते नई कहानी

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

है अनंत आकाश हमारा घर आंगन.
मै चिडिया बन उड़ता रहा गगन में सब दिन|
अपने तो मिल सके नहीं पूरे जीवन भर,
मै सपने मे सबको अपना मान चुका था ||1||
टूट गया भ्रम जब देखी मैने सच्चाई
यहां कागजी नावें चलती हर दरिया में |
कश्ती कब पानी मे डूबी समझ न पाया,
नाव चलाने मे ही थक कर चूर हो गया ||2||
बड़े बड़े ज्ञानी -ध्यानी -पंडित -विज्ञानी,
गणना करते रहे हमारे ग्रह गोचर की |
होना था जो हुआ लाख मैने कोशिश की-
नहीं सुधर पाया मेरा छोटा सा इक पल ||3||
कर्म करो फल की इच्छा तुम कभी न करना…
गीता मे उपदेश दिया ,अर्जुन को टोका |
बिना दिखे फल, कौन करेगा इन कर्मों को ?
नहीं मानता कोई भी कितना समझायें ||4||
आओ मिल कर यत्न करें ,बदलें समाज को
जान सकें इस युग की ये कड़वी सच्चाई |
सबकी चिंता छोड़ लक्ष्य की ओर चला जो,
उसे मदद करने को आये खुद नारायण ||5||
नारायण जो नर के सबसे अधिक निकट थे ,
नारायण जो मानव रथ के रहे सारथी |
नारायण …जो सब हारों के ही श्री हरि थे |
नारायण जो हर पल रचते नई कहानी ||6||

Litreture

चार लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषिकुमार मणि त्रिपाठी लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ लघु कथा एक झलक लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ साग्न स्टूडेंट टाउन से मशहूर क्लब सेवेन शहर ओस्लो के मध्य रात ग्यारह बजे आगए। डिस्कोथेक के जीवंन्त संगीत आर्केस्ट्रा सभी नि:शुल्क प्रवेश  मदिरा पीकर अनजान लड़कियो के बांहो मे बाहें डाले रात भर नाचते। मै […]

Read More
Litreture

जल की एक बूंद

जल की एक बूंद करती है सृजन रचती है विश्व को । जल की एक बूंद बनती वंश लोचन सीप मे मोती गजमुक्ता चमकाती आनन । जल की एक बूंद करती है प्राणदान बनती चरणामृत विष्णु पदनख की सुरसरिता पालती विश्व को। जल की एक बूंद ऋषियों का अस्त्र थी नयनो की भाषा बच्चों की […]

Read More
Litreture

तुम्हीं बता दो मेरे ईश्वर

बड़ी कृपा है उस ईश्वर की। बीत गया यह भी दिन बेहतर। पिछला हफ्ता रहा सुखद ही। अगला दिन जाने कैसा हो? दुख सुख के अंतर्द्वद्वों मे। भारी कौन पड़े क्या कम हो? बतला पाना कठिन बंधुवर! प्रति दिन है भूगोल बदलता।। कौन गया है बचा कौन अब। उंगली पर नित नित मैं गिनता।। जो […]

Read More