Monk

Litreture

कविता : मदद करना सामाजिक दायित्व

कभी कभी मैं भिक्षुक बन जाता हूँ, अपने लिये नहीं पर मैं कुछ माँगता हूँ, सबके लिये सबकी मदद के लिये, कुछ न कुछ कभी कभी माँग लेता हूँ। कभी कुछ सामूहिक याचना करता हूँ, कभी सबके, कभी जनहित के लिये, अक्सर मैं हर किसी से मदद माँगता हूँ, कोई मदद करे न करे पर […]

Read More