नई दिल्ली। अगर आप अक्सर जंक फ़ूड खाते है तो ये खबर आपके लिए ही है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताविक जंक फ़ूड स्जरीर के लिए बेहद खतरनाक है इससे आपका ब्रेन सिस्टम भी ख़राब हो सकता है। स्टडी बताती है कि इससे कॉग्निटिव डिसफंक्शन (सोचने-समझने की क्षमता पर नकारात्मक असर) का रिस्क बढ़ता है और धीरे-धीरे याददाश्त कमजोर पड़ने लगती है। अमेरिका स्थित उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय (UNC) के शोध से पता चलता है कि फैटी जंक फूड वजन बढ़ाने या आपको डायबीटिक बनाने से बहुत पहले ही मस्तिष्क को अटैक करता है यानि इनके नियमित सेवन से सोचने-समझने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। ये परिणाम चेताते और बताते हैं कि हमे मोटापे और याददाश्त को कमजोर करने वाले कारकों पर प्रहार करना चाहिए। जिनमें सबसे पहले नाम आता है वेस्टर्न-स्टाइल जंक फूड (पाश्चात्य शैली से प्रभावित जंक फूड) का। न्यूरॉन पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि हिप्पोकैम्पस में मस्तिष्क कोशिकाओं का एक विशेष समूह- जिसे सीसीके इंटरन्यूरॉन्स कहा जाता है। उच्च वसा वाला आहार (HFD) खाने के बाद अत्यधिक सक्रिय हो जाता है। सीसीके इंटरन्यूरॉन्स की सक्रियता का कारण मस्तिष्क के ग्लूकोज ग्रहण करने की क्षमता का कमजोर होना है। यूएनसी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मुख्य अन्वेषक और फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर जुआन सोंग ने कहा कि यह अतिसक्रियता हिप्पोकैम्पस द्वारा स्मृति प्रसंस्करण करने के तरीके को बाधित करती है। ये हाइपरएक्टिविटी हाई फैट डाइट (HFD) लेने के कुछ दिनों बाद तक भी जारी रहती है। इस खोज से यह भी पता चला है कि पीकेएम2 नामक एक प्रोटीन इस समस्या को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। दरअसल, ये प्रोटीन मस्तिष्क कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा के उपयोग को नियंत्रित करता है।
यूएनसी न्यूरोसाइंस सेंटर के सदस्य सोंग ने कहा कि हम जानते थे कि आहार और मेटाबॉलिज्म ब्रेन हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन हमें उम्मीद नहीं थी कि हिप्पोकैम्पस में मौजूद सीसीके इंटरन्यूरॉन्स (मस्तिष्क कोशिकाओं के विशिष्ट और कमजोर समूह) मिलेंगे।” सोंग ने आगे कहा कि हमें सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात का हुआ कि ग्लूकोज की कमी होने के बाद इन कोशिकाओं ने तेजी से अपनी गतिविधि बदल दी, और यह बदलाव ही याददाश्त कमजोर करने के लिए काफी था।” टीम ने ये परीक्षण चूहों पर किया। उन्हें फैटी जंक फूड जैसे उच्च वसा वाले आहार पर रखा। उच्च वसा वाला आहार खाने के चार दिनों के भीतर, परिणामों से पता चला कि मस्तिष्क के स्मृति केंद्र में सीसीके इंटरन्यूरॉन्स असामान्य रूप से सक्रिय हो गए। शोध यह भी दर्शाता है कि मस्तिष्क में ग्लूकोज के स्तर को बहाल करने से वास्तव में अतिसक्रिय न्यूरॉन्स शांत हो गए और चूहों की स्मृति संबंधी समस्याएं ठीक हो गईं। अध्ययन से पता चलता है कि मोटापा संबंधित न्यूरोडीजेनेरेशन रोकने और ब्रेन हेल्थ को बनाए रखने के लिए खान-पान में बदलाव और कुछ औषधियां सहायक सिद्ध हो सकती हैं। उल्लेखनीय रूप से, शोधकर्ताओं ने पाया कि हाई-फैट-डाइट के बाद इंटरमिटेंट फास्टिंग से भी फायदा पहुंच सकता है। इससे सीसीके इंटरन्यूरॉन्स सामान्य होते हैं और मेमोरी सुधरती है। (BNE)
