बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद,
नासमझी से ही होते हैं सारे फ़साद,
कई काग़ज़ एक में नत्थी करना है,
तो नुकीली पिन चुभोना ही पड़ता है।

परिवार को जोड़े रखना भी अदरक के
कड़वे स्वाद को चखने जैसा ही होता है,
उसे ही यह स्वाद लेने का कष्ट होता है,
जिसे परिवार जोड़ कर रखना पड़ता है।

कड़वे स्वाद कभी कभी अच्छे होते हैं,
पर कड़वे बोल कभी अच्छे नहीं होते हैं,
कड़वे बोल आजीवन का घाव दे जाते हैं,
अच्छे लोग ऐसे समय चुप रह जाते हैं।

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सैंकड़ों झूठ कितना भी शोर मचाते हैं,
पर एक सत्य से सब शांत हो जाते हैं,
सत्य बोलने और समय के अनुसार चुप,
इनकी ताक़त सदा सद्भाव बनाते हैं।

जीवन की सफलता कठिन परिश्रम,
मीठे वचन, धैर्य व दूसरों की इज़्ज़त
इन्ही अनमोल सूत्रों पर निर्भर होती है,
नाम, यश, धन व पहचान भी मिलती है।

आदित्य सोच सकारात्मक रखिये,
हर पहलू की अच्छी नज़र से देखिये,
सारी दुनिया इन्द्रधनुषी नज़र आएगी,
हम सबकी ज़िंदगी भी सुधर जायेगी।

 

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