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Litreture

कविता:  तुम भी ख़ुश हो, हम भी ख़ुश हैं

गली गली में होटल रेस्टोरेंट खुले हैं, अवैध धंधे कुकुरमुत्ते से पनप रहे हैं, सालों से चलते आये हैं नज़र बचाके, पर क्या यह है बिना मिली भगत के।   नक़्शे पास नहीं होते हैं पर चलते हैं, पार्किंग की जगह नहीं पर चलते हैं, अग्निशमन की नहीं व्यवस्था इनमें, फिर भी ये धंधे धड़ल्ले […]

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