सरकार भी झुकने को तैयार नहीं, हड़ताली कर्मियों पर लगेगा रासुका

  • पुलिस और PAC के हवाले राजधानी के सभी बिजलीघर
  • गश्त करती रही लेसा टीम, 300 घरों में रात तक रहा अंधेरा

आशीष दूबे


लखनऊ। नौकरशाह से नेता बने ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के कौशल परीक्षा की माकूल घड़ी आ चुकी है। कल यानी बृहस्पतिवार को रात 10 बजे के बाद अधिकांश बिजलीकर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। लेकिन सरकार भी उनकी माँगो के सामने झुकने को तैयार नहीं है। ऊर्जा मंत्री ने दो टूक लहजे में चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकारी सम्पत्ति को नुक़सान पहुँचाने या ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों के अभद्रता करने की कोशिश हड़ताली कर्मचारी करते हैं तो उनकी खैर नहीं। ऐसे कर्मचारियों के ख़िलाफ़ एस्मा और रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है लेकिन कुछ हठधर्मी हैं, जो बात सुनने को तैयार ही नहीं है। ऐसा नहीं है कि सभी संगठन ऐसा कर रहे हैं, कई संगठनों ने हमारी बात को समझा और जनहित में हड़ताल से अलग रहने का फ़ैसला किया।

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बताते चलें कि अपनी विभिन्न माँगो को लेकर संयुक्त संघर्ष समिति के और ऊर्जा मंत्री के बीच कई दौर की बातचीत हुई। लेकिन दोनों के बीच कोई सार्थक परिणाम नहीं निकले। इसी बेनतीजा मीटिंग के बाद संघर्ष समिति ने फ़ैसला लिया कि बिजली कर्मी हर हाल में बृहस्पतिवार 10 बजे से हड़ताल करेंगे। उनकी हड़ताल का साथ प्रकृति ने दिया और सुबह मौसम बदलने के साथ ही बिजली क़िल्लत भी शुरू हो गई। जानकारों का कहना है कि घाटे में चल रही बिजली निगमों को उबारने में जुटी सरकार कर्मचारियों का अतिरिक्त माँग नहीं मान सकती। अगर सरकार ने उनकी माँगे मानी तो क़र्ज़ का दबाव और बढ़ जाएगा। बताते चलें कि पॉवर कारपोरेशन हर साल क़रीब एक लाख करोड़ के घाटे में रहता है। सरकार की 21 हज़ार करोड़ की सब्सिडी के बाद अभी भी विभाग का घाटा कम नहीं हो सका है।

10 हज़ार से ज़्यादा तकनीकी कर्मचारियों की अतिरिक्त व्यवस्था

पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने बताया कि हड़ताल को देखते हुए करीब 10 हजार से अधिक तकनीकी कर्मचारियों की व्यवस्था की गई है। जहां जरूरत होगी, उन्हें भेजा जाएगा। इन सभी तकनीकी कर्मचारियों को मैन पॉवर एजेंसी के जरिए रिजर्व में रखा गया है।

अन्य विभाग भी आफ़त में देंगे ऊर्जा विभाग का साथ

पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज के अनुसार हर जिले में जल निगम, नगर निगम, नगर पालिका सहित अन्य विभागों के तकनीकी कर्मचारियों को भी अलर्ट कर विद्युत उपकेंद्रों पर लगाया गया है। उत्पादन एवं वितरण इकाई पर एजेंसियों के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों की टीम भी लगाई गई है।

कंट्रोल रूम तक पहुँचे ऊर्जा मंत्री

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने हड़ताल शुरू होने के पहले गुरुवार को शक्ति भवन में स्थापित कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर हड़ताल से पैदा होने वाले हालात की समीक्षा की। शर्मा के अनुसार 72 घंटे की प्रस्तावित हड़ताल के दौरान विशेष सतर्कता बरतें और कंट्रोल रूप से 24 घंटे इसकी निगरानी कहीं किसी भी प्रकार का विद्युत व्यवधान और काम करने वालों का उत्पीड़न न होने पाए।

एक बिजली संघ अपने पक्ष में कर गए मंत्री

मांगों को लेकर कुछ बिजली कर्मचारी संगठन हड़ताल पर चले गए हैं। वहीं दूसरी तरफ यूपी पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन के नेतृत्व में कई संगठन एक मंच पर आ गए हैं। बिजली समन्वय समिति बनाकर कई जिलों में आने वाली समस्याओं का समाधान करने पर मंथन भी शुरू हो गया। राजनीतिक तौर पर यह ऊर्जा मंत्री की बड़ी सफलता कही जा सकती है। इस समिति में यूपी ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश वर्मा, प्रमोटेड पॉवर इंजीनियर वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव बीके शर्मा, विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के प्रदेश अध्यक्ष विभांशु सिंह, यूपी अनुसूचित जाति जनजाति बिजली कर्मचारी अधिकारी महासंघ के महासचिव रामनरेश गौतम शामिल हैं।

…अगर गिरफ़्तारी हुई तो जेल भरो आंदोलन करेंगे बिजलीकर्मी

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स (NCCOEEE) ने प्रशासन को अल्टीमेटम दे रखा है कि यदि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे बिजलीकर्मियों को प्रशासन से गिरफ्तार करने की कोशिश की तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो जाएगा और संगठन के लोग जेल भरो आंदोलन छेड़ देंगे। विद्युत उत्पादन गृहों में दिखा शत-प्रतिशत असर
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे के मुताबिक़ ताप बिजली घरों में शत प्रतिशत हड़ताल शुरु हो चुकी है। वहाँ के लोग 72 घंटे अपनी ड्यूटी नहीं करेंगे। दुबे के मुताबिक़ अनपरा, ओबरा, पारीछा, हरदुआगंज में रात्रि पाली के सभी कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियन्ता हड़ताल पर चले गए हैं और सबने ड्यूटी पर जाने से इनकार कर दिया है। वहीं संध्या पाली के बिजलीकर्मियों ने ड्यूटी छोड़ने के लिए दबाव बना रखा है। वहीं ज़िलों में बिजली व्यवस्था के सवाल पर दुबे कहते हैं कि जैसे-जैसे फ़ॉल्ट बढ़ेंगे, वैसे-वैसे इलेक्ट्रिसिटी व्यवस्था डैमेज हो जाएगी।

बिजली घरों पर पुलिस और पीएसी की तैनाती

बिजली कर्मियों की 72 घंटे की हड़ताल शुरू होते ही राजधानी के बिजलीघर और यूपी पावर कॉर्पोरेशन मुख्यालय पुलिस व पीएसी के हवाले हो गए। वीआईपी इलाकों को बिजली आपूर्ति करने वाले उपकेंद्रों पर तीन-तीन पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई, जिससे हड़ताल समर्थक दूसरे बिजली कर्मचारियों को काम करने से न रोक सकें। उधर राजाजीपुरम, फैजुल्लागंज, चिनहट, मोहनलालगंज एवं महानगर क्षेत्र में बिजली आपूर्ति में आए व्यवधान का निराकरण करने में देरी हुई। इससे उपभोक्ता परेशान रहे। लेसा के मुख्य अभियंता संजय जैन एवं अनिल कुमार तिवारी ने बताया कि लखनऊ के सभी बिजलीघरों पर‌ रात्रि की पाली के कर्मचारी काम पर आए हैं। कोई बड़ा फॉल्ट भी सामने नहीं आया, जिससे बिजली आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न हुआ हो।

राजधानी के क़रीब 300 घरों में रात तक अंधेरा

नादान महल रोड उपकेंद्र इलाके में 300 से अधिक घरों में रात करीब 12 बजे तक अंधेरा पसरा रहा। जानकारी के मुताबिक़ नादान महल रोड पर मकबरा से लेकर सिद्धनाथ मंदिर तक आवासीय क्षेत्र में बृहस्पतिवार दोपहर दो बजे से घरों में हाई वोल्टेज करंट घरों में दौड़ने लगा था। इससे 10-12 घरों में टुल्लू, पंखे, बल्ब, फ्रिज आदि जल गए। इसकी शिकायत जब उच्च अफसरों तक पहुंची तो कर्मचारी रात करीब 10:30 बजे ट्रांसफार्मर की जांच करने पहुंचे। यहां रात करीब 12:15 बजे तक काम चलता रहा।

क्या है बिजली कर्मियों की प्रमुख मांगें

  1. ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एवं प्रबन्ध निदेशक का चयन समिति के द्वारा किया जाना।
  2. पूर्व की तरह मिल रहे तीन पदोन्नति पदों के समयबद्ध वेतनमान के आदेश किया जाना।
  3. बिजली कर्मियों के लिए पॉवर सेक्टर इम्प्लाइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना।
  4. पारेषण के विद्युत उप केन्द्रों के परिचालन एवं अनुरक्षण की आउटसोर्सिंग को बंद करना।
  5. नये विद्युत उप केन्द्रों का निर्माण पारेषण निगम से कराया जाना, निविदा/संविदा कर्मियों को अलग-अलग
  6. निगमों में मिल रहे मानदेय की विसंगति दूर कर समान मानदेय दिया जाना।
  7. भत्तों के पुनरीक्षण एवं वेतन विसंगतियों का निराकरण किया जाना।

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