ए अहमद सौदागर
लखनऊ। लोकसभा चुनाव का तीसरे चरण का चुनाव आगामी सात मई को होने जा रहे वोट युद्ध में सभी दलों ने अपने-अपने दांव चल मोहरे बिछा दिए हैं, पर अब जनता की बारी है। दो चरणों का चुनाव समाप्त होने के बाद अब पांच बाकी हैं, लेकिन इससे पहले चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए हर तरफ के हथकंडे अपनाने में फिलहाल कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल तक घमासान मचा हुआ है। कोई विकास का मुद्दा तो कोई जाति को अहम मानकर मतदाताओं से वोट मांगने पर जोर आजमाइश कर रहे हैं। लिहाजा 80 सीटों वाले राज्य में सीटों पर ऊंट किस करवट बैठेगा? किस दल के हाथ कितनी सीटें लगेंगी? इसको लेकर कोई सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है। परंपरागत ढंग से शहरी क्षेत्र में बड़े राजनीतिक दल व ग्रामीण इलाकों वाले लोकसभा क्षेत्र अन्य दलों का दबदबा रहने की कही जा रही है।
एक-दूसरे को पटखनी लगाने में जुटे सियासी दल…
लोकतंत्र के अदभुत मेले में इन दिनों खट्टी-मीठी तकरारों की बौछार भी है। घर से गली की नुक्कड़ तक और बाजारों ने चुनावी समीकरण को लेकर अपने-अपने के दावों ने अपने चहेतों को आमने-सामने खड़ा कर दिया है। हंसी-मजाक से शुरू होने वाली तकरीर कभी गंभीर हो जाती है, तो तमाम बार अपने दल व नेता को लेकर कोई न कोई तोहफा दांव पर लग जाता है।