राजेश श्रीवास्तव
मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का,
धनुष छोड़ कर और गोत्र क्या होता है रणधीरों का,
पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर,
‘जाति-जाति’ का शोर मचाते केवल कायर क्रूर।
शनिवार को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। तो उन्होंने ऊपर लिखी रामधारी सिंह दिनकर की यह लाइनें जब पढ़ें तो उन्होंने अखिलेश की जातिगत जनगणना के मुद्दे को धूल-धूसरित कर दिया। यही नहीं, दो माह से पिछड़ों की गोलबंदी के सहारे सपा मुखिया अखिलेश यादव की तैयार हो रही चुनावी चौसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिदुत्व कार्ड चलाया । सपा ने रामचरित मानस की जिस चौपाई को आधार बनाकर सियासी फसल काटने की योजना बनाई थी, योगी ने उसकी प्रतियां जलाने को 1०० करोड़ हिदुओं का अपमान बताकर उनकी रणनीति पर पानी फ़ेरने का प्रयास किया है। इसके साथ ही हिदुत्व पर अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उनकी लाइनें भी सुनाईं ।
हिदू तन मन, हिदू जीवन, रग-रग हिदू मेरा परिचय,
हिदू कहने में शरमाते, दूध लजाते लाज न आती,घोर पतन है,
अपनी मां को मां कहने में फटती छाती।
जिसने रक्त पिला कर पाला, क्षण भर उसका भेष निहारो,
उसकी खूनी मांग निहारो, बिखरे-बिखरे केश निहारो।
जब तक दुशासन है, वेणी कैसे बंध पाएगी,
कोटि-कोटि संतति है, मां की लाज न लुट पाएगी।
जाति के एंगल पर जवाब देने के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ लोगों ने रामचरितमानस को फाड़ने का प्रयास किया, अन्य मजहब पंथ के साथ हुआ हो तो क्या स्थिति होती? कोई भी अपने अनुसार शास्त्रों की विवेचना कर रहा है। जिसकी मर्जी आए वह हिदुओं का अपमान कर ले। यहां उन्होंने रामचरितमानस को लेकर भारतीयों की भावना जाहिर करते हुए एक किस्सा भी सुनाया। योगी ने कहा कि मैं एक बार प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम में मॉरीशस गया था।
वहां पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से पौने दो सौ साल पहले जो लोग गिरमिटिया मजदूर बनाकर गए थे। आज वे लोग अलग-अलग देशों के राष्ट्राध्यक्षों के रूप में हैं। मैंने उन लोगों से पूछा कि आपके पूर्वज कोई चीज विरासत में लाए हों, ऐसा कुछ बचा है? तब उन्होंने बताया कि हमारे घर में रामचरित मानस का गुटका है। मैंने पूछा कि क्या आप उसे पढ़ना जानते हैं, उन्होंने कहा कि नहीं, लेकिन विरासत में जो सीखा है, उसे याद रखते हैं। मुख्यमंत्री ने सीधे कहा कि गौरव की अनुभूति होनी चाहिए कि यूपी राम और कृष्ण की धरती है, गंगा-यमुना और संगम की धऱती है। इसी धरती पर रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ रचे गए। लेकिन आप उसे जलाकर देश-दुनिया के 1०० करोड़ हिदुओं को अपमानित कर रहे हैं। ऐसी अराजकता को कोई कैसे स्वीकार कर सकता है। योगी ने कहा कि मुझे एक पंक्ति याद आती है…जाके प्रभु दारुण दुख दीन्हा, ताके मति पहले हर लीन्हा…।
योगी ने दो घंटे सात मिनट के भाषण में एक-एक मुद्दे पर आईना दिखाते हुए सपा को बैकफुट पर लाने का प्रयास किया। सपा की ओर से प्रयागराज गोलीकांड का मुद्दा उठाया गया तो सपा को घेरते हुए माफिया को मिट्टी में मिलाने जैसा संकल्प कई बार दोहराया। अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की बात कर कानपुर में मां बेटी की आत्महत्या से बिगड़े माहौल को भी योगी ने शांत करने की कोशिश की। अखिलेश व सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य काफी दिनों से रामचरिस मानस की एक चौपाई को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे थे। अखिलेश सदन के बाहर कहते रहे हैं कि वे विधानसभा में सीएम से पूछेंगे कि शूद्र कौन-कौन हैं? अखिलेश ने सीधे तौर पर इस मुद्दे को सदन में तो नहीं उठाया, लेकिन योगी ने मानस की चौपाई में ताड़न का अर्थ प्रताड़ित करने से नहीं, बल्कि देखने से साबित कर इस मुद्दे को ही बेमानी कर दिया।
लोकसभा की तैयारी या मुस्लिम मतों के ‘आकाओं’ को चिढ़ाने की बारी…
उन्होंने सपा द्बारा तुलसीदास को अपमानित करने और सौ करोड़ हिदुओं के अपमान से जोड़ते हुए इस मुद्दे की धार कुंद कर दी। योगी ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के बयान का हवाला देकर दलित समाज को भी संदेश देने की कोशिश की। कहा, बाबा साहब ने खुद कहा था कि दलित वर्ग को शूद्र न कहा जाए, शूद्र कोई जाति नहीं है। जानकार मानते हैं कि योगी ने अपने अंदाज व जवाब से न सिर्फ जातीय गोलबंदी की कोशिश कर रही सपा की रणनीति को झटका दिया है, बल्कि अपनी बुलडोजर बाबा की छवि को बरकरार रखने का संदेश दिया है। उन्होंने यूपी में का बा के जवाब में बाबा बा…का संदेश देकर भी मजबूत इरादे दिखाए हैं। योगी ने सपा संस्थापक रहे मुलायम सिह यादव और महासचिव शिवपाल यादव का मुद्दा उठाते हुए अखिलेश को कठघरे में खड़ा किया। कहा, ‘शर्म तो तुम्हें करनी चाहिए जो अपने बाप का सम्मान नहीं कर पाए’। वहीं चाचा शिवपाल के साथ हुए धोखे और उचित सम्मान नहीं मिलने का मुद्दा भी उठाया। योगी ने रामचरित मानस की ही चौपाई बिनय न मानत जलधि जड़… के जरिए विपक्ष को चेताया कि संभल जाओ, नहीं तो सरकार बख्शेगी नहीं।