भारत ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनी लोगों के लिए दो-राज्य समाधान का समर्थन दोहराया

नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को इजरायल और फिलिस्तीन के संघर्ष को खत्म करने को लेकर दो-राज्य समाधान के अपने समर्थन को दोहराया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में टू-स्टेट सॉल्यूशन की नई दिल्ली की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जिसमें फिलिस्तीनी लोगों के लिए इजरायल की सुरक्षा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सीमाओं के भीतर एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र रूप से रहने की क्षमता शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने एक बैठक के दौरान कहा भारत दो राज्य समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां फिलिस्तीनी लोग इजरायल की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सीमा के भीतर एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र रूप से रह सकें।
संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन के आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट पर कंबोज के संबोधन की एक वीडियो भी साझा की गई है, जहां उन्होंने यूएन में फिलिस्तीन के आवेदन पर पुनर्विचार करने की बात भी कही है।
दरअसल, फिलिस्तीन ने पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए आवेदन किया था, जो अमेरिका के वीटो के चलते पास नहीं हो सका था। इस मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट करते हुए कंबोज ने कहा भारत की दीर्घकालिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए हम आशा करते हैं कि उचित समय पर इस पर पुनर्विचार किया जाएगा और यूएन का सदस्य बनने के फिलिस्तीन के प्रयास को समर्थन मिलेगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि दोनों पक्षों के बीच सीधी और सार्थक बातचीत के जरिये दो-राज्य समाधान का स्थायी समाधान निकले, जिससे शांति स्थापित हो सके। कंबोज ने यह भी कहा कि भारत ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के 10वें आपातकालीन विशेष सत्र की पूर्ण बैठक बुलाने के महासभा के इरादे पर गौर किया है और वह इसमें सक्रिय रूप से भाग लेगा। उन्होंने फिलिस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दोहराया।
इसके साथ ही कंबोज ने इजरायल पर हमास के हमले की भी निंदा की। उन्होंने कहा, इजराइल और हमास के बीच संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की जान गई है, जिससे मानवीय संकट पैदा हो गया है, जो ‘अस्वीकार्य’ है।
उन्होंने आतंकवाद पर भारत के कड़े रुख का जिक्र करते हुए कहा आतंकवाद और बंधक बनाने को कतई सही नहीं ठहराया जा सकता। आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ भारत का समझौता न करने वाला रुख रहा है और हम सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग करते हैं।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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