दो टूक : 2024 में भाजपा को उप्र से ही खाद-पानी की उम्मीद

राजेश श्रीवास्तव


यह बात सौ फीसद सच है कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सामने किसी को बड़ी चुनौती नहीं दिखायी पड़ रही है। लेकिन दस वर्ष का शासन करने के बाद भाजपा खुद बहुत मुतमईन नहीं है। वह अपनी जीत के प्रति बहुत आश्वस्त नहीं है। भले ही मोदी नाम की नाव से सबको 2024 पार लग जाने की उम्मीद है। लेकिन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीते दिनों कार्यकर्ताओं से सजग रहने की अपील की थी। भाजपा की चिंता दरअसल कई राज्यों में आये सर्वे के नतीजों ने बढ़ा दी है। इसीलिए भाजपा अब उप्र में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। भाजपा के हाथ जो सर्वे के नतीजे लगे हैं उनके मुताबिक देश के तीन राज्यों में यूपीए का मैजिक चलता दिखाई दे रहा है । इन तीन राज्यों की 116 सीटों में से 76 पर भाजपा को नुकसान होता दिख रहा है।

गौरतलब है कि सी वोटर और इंडिया टुडे ने हाल ही में मूड ऑफ द नेशन नाम का सर्वे किया था। सर्वे के अनुसार, अगर आज चुनाव होते हैं तो एक बार फिर से NDA  की सरकार बनेगी, लेकिन बीजेपी के लिए टेंशन की बात ये है कि इसी सर्वे में लोकसभा की 116 सीटें रखने वाले तीन राज्यों में यूपीए का मैजिक चलता दिख रहा है । ये तीन राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार हैं । महाराष्ट्र में बीजेपी को झटका लगने वाला है। राज्य में लोकसभा चुनाव में यूपीए की सीटें 2019 के मुकाबले 2024 में छह गुना बढ़ने वाली हैं । जबकि बिहार UPA को पिछली बार की एक सीट के मुकाबले 25 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है । इसी तरह कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 17 सीट मिलती दिखाई गई है। जो पिछली बार से 15 ज्यादा है। कर्नाटक में UPA का वोट शेयर भी बढ़कर 43 प्रतिशत हो गया है।

तीन राज्यों के आंकड़ों को मिलाएं तो UPA के खाते में 76 सीटें जा रही हैं। इतनी बड़ी संख्या में सीटों का जाना PM मोदी की टेंशन जरूर बढ़ाएगा । हालांकि ये सर्वे के नतीजे हैं, असल नतीजे चुनाव के बाद ही आएंगे । इन्हीं सब समीकरणों को देखते हुए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में तेजी के साथ काम करना भी शुरू कर दिया है। पार्टी ने 2019 के चुनाव में हारी हुई सीटों को सेटल करने के लिए मंत्रियों को तैनात किया है।

अब इसके अलावा खबर है कि पार्टी एक नई टीम का गठन करने जा रही है । ये टीम उत्तर प्रदेश में बीजेपी प्रमुख भूपेंद्र चौधरी के नेतृत्व में बदलाव के साथ काम करने वाली है। जिसमें 15 से 20 पदाधिकारियों के साथ-साथ कम से कम चार से छह क्षेत्रीय पार्टियों के प्रमुख शामिल होंगे। बीजेपी की ओर से लोकसभा की 66 सीटों पर मंत्री, पदाधिकारी और विस्तारकों को तैनात किया जाएगा।  इसके साथ ही पार्टी के मीडिया डिपार्टमेंट की ओवरहालिग की जाएगी। मीडिया विभाग में पूरी तरह से बदलाव देखने को मिल सकता है। इसी के साथ-साथ यूपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिह चौधरी के चुने जाने के बाद लोकसभा चुनाव तक चुनाव के माध्यम से अध्यक्ष को नहीं चुना जाएगा। जो पदाधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं, उनको हटाने का कोई कारण भी नहीं दिखता है।

वहीं, अगर गठबंधन की बात करें तो ओम प्रकाश राजभर की पार्टी SBSP की पार्टी के साथ लगभग ये डील फाइनल हो चुकी है और अनुप्रिया पटेल के अपना दल और संजय निषाद की निषाद पार्टी के साथ ये जारी रहेगा। राजभर की बात की जाए तो अगर सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा। तो उन्हें एक या दो लोकसभा सीट दी जा सकती हैं। राजभर के खाते में घोसी लोकसभा सीट आ सकती है ।

जिस तरह से पिछले साल विधानसभा चुनावों में मोदी-योगी हिट फैक्टर था, उसी तरह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी इस हिट जोड़ी को जमकर भुनाना चाहेगी। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने गुजरात में ऐतिहासिक जीत हासिल की, उसी तरह की उम्मीद बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में रख रही है। इसी के तहत पार्टी ने मिशन 8० का टारगेट रखा है। साल 2014 के चुनाव में 73 सीटें मिलीं तो साल 2019 के चुनाव में 62 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। मगर इस बार बीजेपी ने टारगेट बड़ा रखा है और इसकी तैयारियों में भी लग गई है। क्योंकि अन्य राज्यों से होने वाले नुकसान की भरपायी यहीं उत्तर प्रदेश से ही करना है। अब फिलहाल सारी रणनीति का परिणाम तो 2024 में ही दिखायी पड़ेगा। लेकिन भाजपा रणनीति पर अमल करने में पीछे नहीं है।

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