माफिया पर भारी बुल्डोजर बाबा

कभी रोगी, कभी ढोंगी और कभी अभागा प्रदेश कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश अब देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हैं। कोयला माफिया, ठेका माफिया, ड्रग माफिया और अपराधियों के चंगुल में फंसे उत्तर प्रदेश में अब कानून तोडऩे वालों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है। सूबे के बड़े-बड़े माफिया अब ठॉय-ठॉय की गूंज सुनने के बाद ‘योगी नाम केवलम’ जपने लगे हैं। कैसे घटा अपराध और कैसे टूटी माफिया की कमर… साथ ही विकास के पथ पर सरपट कैसे भागने लगा प्रदेश… ‘नया लुक’ के वरिष्ठ समाचार सम्पादक रतींद्र नाथ की रिपोर्ट…


दिन था शुक्रवार और तारीख़ थी चार नवम्बर 2022. यह दिन मुसलमानों के लिए पाक वक्त माना जाता है, इसे जुम्मा से नवाज़ा गया है।  बहरहाल जुम्मा की नमाज अदा करने के बाद माफिया डॉन मुख्तार के साहबजादे अब्बास अंसारी सीधे प्रवर्तन निदेशालय (ED) दफ़्तर पहुंचे। ईडी ने लगातार उनसे सवाल-जवाब किया। वालिद मुख्तार अंसारी पर मनी लांड्रिंग के केस में उनका भी नाम था। अब्बास फिलवक्त सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का विधायक है। लम्बी-चौड़ी दरियाफ़्त के बाद ED ने अब्बास को हिरासत में ले लिया। अब अब्बास के साथ-साथ अब्बा और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी भी लखनऊ जेल के जेलर एसके अवस्थी को धमकाने के मामले में अदालत द्वारा सात साल की सजा पा चुके हैं। यह दंड मुख्तार को इसी साल 21 सितंबर के दिन कचहरी ने मुकर्ऱर किया है। वह कचहरी थी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ। साथ ही मुख्तार पर 37 हज़ार का जुर्माना भी लगाया गया। एसके अवस्थी ने मुख्तार को यह सजा कैसे दिलाई, इसके लिए पढ़े बॉक्स।

मुख्तार की मुश्किलें तब और बढ़ गईं, जब इसी सितंबर 2022 में ही उसे एक अन्य मामले में 10 साल की सज़ा MP-MLA कोर्ट ने सुना दी। अभी मुख्तार के विरुद्ध मुक़दमों के फेहरिस्त काफ़ी लम्बी है। आहिस्ते-आहिस्ते उसके सारे मुक़दमे खुल रहे हैं। देखना यह है कि अन्य मुकदमों में अदालत क्या निर्णय सुनाती है। यही नहीं मुख्तार के सांसद भाई अफजाल अंसारी भी कई अपराधिक मामलों में लदे-फंदे हैं और उनकी भी अवैध संपत्ति को योगी सरकार ने कुर्क कर रखी है। आखिर यह माफिया डॉन मुख्तार है कौन? मुख्तार से इतर अतीक अहमद की डोजियर क्या है? किस चिडिय़ा का नाम है अतीक, इससे भी चारचश्म कराना ज़रूरी है।

हालाँकि आज उत्तर प्रदेश के प्रत्येक नागरिक के घर योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है। वहीं दूसरी तरफ़ माफिया, अपराधी उनका नाम सुनते ही कांप उठते हैं। मुख्तार और अतीक जैसे डॉन जब ‘योगी नाम केवलम’ जप रहे हैं तो छूटभैये अपराधियों की क्या बिसात है। हालत यह है कि दिन में भी अपराधियों के सपने में योगी आते हैं, तभी तो कई अपराधियों को एनकाउंटर में मौत की नींद सुला दिया जा रहा है। सैकड़ों से ज़्यादा गैंगस्टरों ने अपनी देह पर पट्टी लटकाकर विभिन्न पुलिस स्टेशनों में जाकर आत्मसमर्पण किया है। हर पट्टी पर लिखा हुआ था ‘योगी बाबा, मेरी जान बख्श दो अब क्राइम से तौबा करता हूँ… जीवन में मज़दूरी कर लूंगा मगर अपराध नहीं।’

आखिर योगी का ‘मोडस ऑपरेंडी’ है क्या? जो अपराधियों में इतनी ख़ौफ़ है। एक लाइन में इसका जवाब है- शूट ऐट साईट। पुलिस प्रशासन को योगी ने सख्त आदेश दे रखा है क्रिमिनल को देखो और सीधे ठोंक दो, टपका दो, खल्लास कर दो, सुपुर्द-ए-खाक कर डालो। सूबे की बेहतरी के लिए योगी ने पुलिस-प्रशासन को फ्री हैंड दे रखा है। कोई सियासी दख़लंदाज़ी नहीं है। तभी तो यूपी में अवाम की सवारी पटरी पर सरपट दौड़ रही है। इसकी ताज़ा मिसाल है मुख्तार को सजा दिलवाना, उसके साहबज़ादे को गिरफ़्तार करवाना तथा अतीक के खिलाफ प्रयागराज की अदालत में चार्ज फ्रेम करवाना।भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज कहते हैं कि लॉ एंड आर्डर के मुद्दे पर पूरे देश में नजीर बन चुके यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फेल करनी की साजिश रची जा रही है। दबे पांव साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे वाले मामले सूबे में बनाए जा रहे हैं। वह हाल की कुछ घटनाओं का जिक्र भी करते हैं। बकौल पुंज, इसी माह दो नवंबर को शाहजहांपुर के मस्जिद में घुसकर कुरान जलाने के प्रकरण से क्षेत्र में तनाव बढ़ गया था। अपमान की सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम जुटे और उन्होंने विरोध प्रदर्शन करते हुए आगजनी शुरू कर दी। माहौल बिगड़ता देख पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया। लेकिन घटनास्थल के पास के एक सीसीटीवी को खंगाला गया, तो खुलासा हुआ कि इस ‘ईशनिंदा’ का अपराधी ताज मोहम्मद है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया।

इससे पहले 18 अक्टूबर २०२२ को मेरठ में मोहम्मद शोएब नामक शख्स ने मंदिर में शिवलिंग को अपवित्र करने की कोशिश की। वीडियो वायरल हुआ तो उसकी गिरफ्तारी भी हो गई। बाद में उसे मंदबुद्धि बताया गया। उसके ठीक आठ दिन पहले 10 अक्टूबर को सुल्तानपुर (कुशभवनपुर) जिले में एक मस्जिद के पास दुर्गा प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा पर उपद्रवियों की ओर से पथराव किया गया। इस घटना में 32 लोग गिरफ्तार हुए। उसके पांच दिन पहले यानी सात सितम्बर को माथे पर तिलक लगाकर जय श्रीराम का नारा लगाते हुए शिवा नामक एक व्यक्ति लखनऊ स्थित हनुमान मंदिर में प्रतिमा को खंडित कर देता है। तफ्तीश करने पर पता चला कि उसका नाम तौफीक अहमद था। बात यही खत्म नहीं होती, इस तरह की घटनाओं की लम्बीद्घ फेहरिस्त बनती जा रही है। बीते दिनों बिजनौर में भगवा परिधान पहने दो मुस्लिम भाइयों द्वारा मजारों में तोड़-फोड़ करते हुए चादर को आग लगाने का मामला भी सामने आया था।

सवाल उठता है कि आखिर यूपी में ऐसी घटनाओं के निहितार्थ क्या है? सरकार की सख्त नीतियों का परिणाम है कि सूबे में वर्ष 2021 में न केवल सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं घटी हैं, बल्कि बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराध भी घट गए हैं। कई अपराधियों के विरुद्ध गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए उनकी हजारों करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति कुर्क की जा चुकी है। कई माफिया की अवैध संपत्तियों पर बाबा का बुलडोजर चल चुका है। ताज्जुब तब और होता है जब बिना किसी बल प्रयोग और विरोध प्रदर्शन के विभिन्न धार्मिक स्थलों (मंदिर हो या मस्जिद) में लगे सवा लाख लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई की गई।

वहीं माफिया के प्रति सख्त रवैया अपनाने का परिणाम है कि अब यूपी 10 खरब डॉलर की अर्थव्यस्था बनने की ओर अग्रसर है। इसके लिए योगी सरकार अगले पांच बरसों में 40 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। सूचना निदेशक शिशिर के मुताबिक योगी सरकार ने वर्ष 2023 के ‘यूपी ग्लोबल इंवेस्टर समिट’ में 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश लाने का लक्ष्य रखा है। आयोजन के पहले औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए उद्योग, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रानिक्स, फूड प्रोसेसिंग, पर्यटन सहित कई नीतियों में संशोधन किया जाएगा। वहीं सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (MSME) लगाने के लिए उद्यमियों को सरकार विशेष राहत देने जा रही है, इस योजना में महिला उद्यमियों को ज्यादा रियायत दी जाएंगी। बकौल सूचना निदेशक, पारदर्शी प्रशासन के माध्यम से प्रदेश में सांविधानिक लोकतांत्रिक सरकार का इकबाल पुनस्र्थापित हो रहा है, इसलिए निजी स्वार्थ और वैचारिक खुन्नस के कारण विकृत मानसिकता के लोग कुत्सित प्रयासों में भी लिप्त हैं।

गौरतलब है कि यूपी के वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ फिलवक्त पूरे फॉर्म में हैं। यूपी के कोने-कोने में आतंक की बदौलत जिन गैंगस्टरों ने अकूत सम्पत्ति बनाई थी, उन पर इस गेरुआ वस्त्रधारी बाबा ने ऐसा बुल्डोजर चलवाया कि वह ‘योगी नाम केवलम’ जपने लगे हैं।

इसी का नतीजा था कि बीते अक्टूबर महीने में माफिया डॉन अतीक अहमद के खिलाफ प्रयागराज की अदालत में राजूपाल मर्डर केस को लेकर जब चार्ज फ्रेम हुआ तो टीवी रिपोर्टर एवं अखबारनवीसों से बात करते हुए अतीक ने योगी की तारीफ में खूब कसीदे गढ़े। अतीक ने मीडिया को बताया कि हमारे  योगी आदित्यनाथ बेहद ईमानदार और बहादुर हैं। इसके ठीक एक दिन बाद अतीक की बेगम शाइस्ता परवीन ने भी वजीर-ए-आला की जमकर प्रशंसा की। गौरतलब है कि अतीक अहमद गुजरात के सूरत जेल में बंद हैं। उसके तीनों शाहबजादे अशरफ, उमर और अली भी लाल हवेली के भीतर हैं। उधर बांदा लाल हवेली में बंद माफिया सरदार मुख्तार अंसारी ने कचहरी में अपनी पेशी के दौरान योगी को जाबांज और सच्चा जनसेवक के तमगे से नवाजा। सनद रहे अतीक कभी फूलपुर के लोकसभा का सदस्य हुआ करता था।

Nayalook December

वहीं मुख्तार खुद मोहम्मदाबाद से विधायक रह चुका है। यह शर्म की बात है कि अतीक ने उस फूलपुर की नुमाइंदगी लोकसभा में की थी, जो कभी पं. जवाहर लाल नेहरू की कांस्टीचुएंसी हुआ करती थी। वैसे अतीक की 959 करोड़, मुख्तार की 430 करोड़, यशपाल तोमर की 400 करोड़, ध्रुव सिंह के 20 करोड़ की सम्पत्ति सरकार ने जब्त कर ली है। अनेक माफिया की सम्पत्ति कुर्क की गई है। उनकी कई आलीशान इमारतों को जमींदोज़ कराया गया है, जो अवैध तरीके से बने थे। अतीक के खिलाफ 95 आपराधिक मामले लदे हुए हैं। योगी ने 936 माफिया के विरुद्ध अभी तक एक्शन लिया है। साथ ही 436 खूंखार अपराधियों को जेल की हवा खिलवाई है। अभी तक यूपी के 3487 माफिया को चिन्हित किया जा चुका है। बहरहाल योगी आदित्यनाथ से माफिया, गुंडे, अपराधी थर-थर कांप रहे हैं। यूपी के गांव देहात में यहां तक कहा जा रहा है कि रास्ते पर आ जाओ नहीं तो योगी ठोंक देंगे। पिछले २२ अगस्त को मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक भोपाल में हुई। बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम योगी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि योगी ने यूपी में कानून व्यवस्था को लम्बे अरसे के बाद लागू करने का कार्य किया है। पूरी मशीनरी को अच्छे से संभाला है।

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यूपी ने अपनी पहचान को पुर्नस्थापित करने के लिए जो कदम बढ़ाए हैं, उनमें प्रमुख रूप से प्रदेश के अंदर सुरक्षा का माहौल बनाकर विकास की पटरी को पुर्नस्थापित करने के कार्यक्रम हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के देश को पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के संकल्प के लिए यूपी ने एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने की कार्रवाई शुरु कर दी है और हमारा विश्वास है कि हम इसमें सफल होंगे। दुरुस्त कानून-व्यवस्था के चलते देश-दुनिया के बड़े-बड़े संस्थान यूपी की ओर रुख कर रहे हैं।

पूरी दुनिया को यूपी बुला रहे : योगी

बिजनेस में खुद को अव्वल साबित कर चुके, यूपी के CM अब १० लाख करोड़ रुपये का निवेश लाने की मुहिम में जुट गए हैं। इतना बड़ा निवेश लाने के लिए सरकार अगले वर्ष ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन कर रही है। PM मोदी इस समिट की शुरुआत करेंगे। तीन दिन होने वाले इस समिट में देश तथा विदेश के बड़े औद्योगिक घरानों के मुखिया हिस्सा लेंगे। देश तथा विदेश के बड़े उद्योगपतियों को लाने के लिए यूपी के इंडस्ट्री विभाग के आला अफसरों ने रोड शो की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार के मुताबिक विदेश में होने वाले रोड शो की शुरुआत दुबई से की जाएगी। इसके अलावा यूके, नीदरलैंड्स, जर्मनी, फ्रांस, जापान, सिंगापुर, साऊथ कोरिया, इस्राइल, ऑस्ट्रेलिया, आस्ट्रेलिया, यूएई, अमेरिका, कनाडा, थाईलैंड, बेल्जियम, स्वीडन और रूस में भी रोड शो का आयोजन किया जाएगा। वहीं विदेश के साथ-साथ देश में मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और दिल्ली में भी रोड शो आयोजित किए जाएंगे। वहीं सीएम के सलाहकार अवनीश अवस्थी कहते हैं कि यूपी में बुल्डोजर की कार्रवाई करके २०६८ करोड़ रुपये की अवैध सम्पत्ति को कब्जे से मुक्त कराया गया।

मुख्तार और शहाबु थे अज़ीज़ दोस्त

सीवान के दिवंगत बाहुबली राजद सांसद मो. शहाबुद्दीन और मोहम्मदाबाद ग़ाज़ीपुर के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी में दांत-काटी दोस्ती थी। साहेब (शहाबुद्दीन को सीवान में लोग साहेब ही कहते थे।) जहां लालू की आँखों की पुतली थे, वहीं मुख्तार अंसारी कभी मुलायम सिंह यादव, कभी मायावती और कभी सपा के लोगों के बेहद करीबी हुआ करते थे।

लेकिन साल 2003 में बिहार में डीपी ओझा ने जब लालू के फऱमान पर शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसना शुरू किया था, तब मुख्तार ने छूटते ही टिप्पणी की थी कि शहाबु वह आतिश है, जिस पर हाथ रखते ही पूरी देह स्वत: ही जल जाएगी। यही नहीं साहेब के शूटर बिहार में क्राइम करने के बाद मुख्तार के घोंसले में पनाह लेते थे, जबकि मुख्तार अंसारी के गुर्गे साहेब के सीवान स्थित बाड़े में अपराध करने के बाद घुस जाते थे। कभी लालू यादव के साले साधू यादव के शागिर्द रहे अशोक यादव के 25 जुलाई 2005 की दोपहरी पटना से दिनदहाड़े बम से उड़ाया गया था तो उसमें जिस शूटर का नाम उछला था, वो कालांतर में मुख्तार की कांस्टीचुएंसी में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। बहरहाल, सफलता का शिखर छूने के लिए आदमी को कई बार अपराध का रास्ता चुनना पड़ता है। यह बात शहाबु और मुख्तार दोनों ही भलीभाँति जानते थे।

लेकिन उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि इस राह पर सिर्फ़ काँटे ही काँटे बिछे रहते हैं। कंटक पथ पर पाँव लहुलूहान होंगे, यह मुख्तार को उस दिन समझ आया, जिस दिन उसे पंजाब के रोपड़ जेल से सडक़ मार्ग द्वारा उत्तर प्रदेश लाया जा रहा था। मुलायम और मायावती की हुकूमत के दौरान शेर की तरह दहाडऩे वाला मुख्तार उस दिन भीगी बिल्ली बनकर गाड़ी में बैठा हुआ था। उसके परिजनों ने अदालत में गुहार लगाई थी कि कहीं विकास दुबे की तरह मुख्तार का भी ख़ात्मा न कर दिया जाए। लिहाज़ा, अदालत को फऱमान जारी करना पड़ा था कि इस विधायक को सुरक्षित यूपी की जेल के सीखचों में रखा जाए। यह बात नसीहत देती है कि 3सी (कैश, कास्ट और क्रिमिनल) की जिंदगी ज़्यादा लम्बी नहीं होती। या तो वो पुलिस एनकाउंटर में मारे जाते हैं या अदालत उन्हें उम्रक़ैद मुकर्ऱर करती है या गैंगवार में वे सुपुर्द-ए-खाक हो जाते हैं। आज शहाबुद्दीन तो दुनिया में हैं नहीं, लेकिन मुख्तार आज भी लाल हवेली के भीतर बिल्ली की तरह म्याऊं-म्याऊं करते रहते हैं।

मछली से बेइंतहा मोहब्बत

माफिया बादशाह मुख्तार अंसारी की बेपनाह मोहब्बत मछली से रही है। कोई ऐसा दिन नहीं है, जब लंच डिनर में इस खूंखार हस्ती ने मछली का स्वाद न चखा हो। मछली तो उनके यहां इसी तरह खैरात में व्यवसायी पहुंचाते रहे हैं। साथ ही लोगों को हैरत होगा कि गाजीपुर, मऊ, मोहम्मदाबाद के इलाके में रोज मछली का भाव सुबह-शाम यही तय करते थे। जो दाम मुकर्रर किया, उससे न एक पाई कम और न एक पाई ज्यादा में कोई बेच सकता था। घर बैठे-बैठे उन्हें इस एवज में मोटी रकम बिना रोज मिलती थी और मछली भी।

सेफजोन में हैं तीसरे डॉन बृजेश

यदि मुख्तार अंसारी बीस हैं, तो ब्रजेश सिंह भी उनसे कम नहीं है। ब्रजेश ने मुख्तार को काउन्टर करने के लिए दो तरकीब भिड़ाई। एक तो अपने भइया चुलबुल सिंह को बनारस जिला पंचायत की चेयर दिलवाई, फिर बिरादरीवाद का हवाला देकर वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह की चिरौरी कर चुलबुल को यूपी विधान परिषद का प्रतिनिधि बनवा दिया। भतीजे सुशील सिंह को एमएलए का चुनाव जितवाकर अपनी शक्ति बढ़ा ली।

इसी दौरान ब्रजेश सिंह ने बिहार के माफिया सुनील पांडे एवं धूमल सिंह से मित्रता गांठी। सुनील बरसों तक MLA थे जबकि धूमल अभी जदयू के विधायक हैं। रेलवे ठेका, स्क्रैप का कांट्रैक्ट इस तिकड़ी ने लेना शुरू किया। इसी गैंग में जमशेदपुर के साहब सिंह और वीरेन्द्र सिंह भी थे।

बताया जाता है कि कभी ब्रजेश सिंह, दाउद इब्राहिम व छोटा राजन का हम प्याला- हम निवाला था।  कालान्तर में दाउद से उसका तफरका हो गया था। वह छोटा राजन ग्रुप का दामन तब थामा था। ब्रजेश ने एंबुलेंस पर सवार होकर कुछ साल पूर्व जेजे अस्पताल मुम्बई में घुसकर दाउद के बहनोई को गोलियों के भून डाला था। उस दिन से आज तक मुम्बई में बृजेश का नाम चलता है।

Central UP

EXCLUSIE CRIME NEWS: साल-दर-साल कमजोर हो रही थी मुख्तार की फायर पॉवर, कुछ इस तरह गई मुख्तारी

ए अहमद सौदागर लखनऊ। बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद भले ही कुछ बातें संबंधित विभाग की फाइलों में गोते लगा रही हों, लेकिन कड़वा सच यह है कि अपराध का इतिहास अनगिनत रहा। मुख्तार अंसारी के राजनीतिक और आर्थिक साम्राज्य के साथ उसके गैंग की फायर पावर कई सालों […]

Read More
Central UP

CRIME UPDATE: मारा गया था युवक गले और शरीर में मिले चोट के निशान

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सच आया सामने, चिनहट क्षेत्र में हुई घटना का मामला एक बार फिर सिर उठाने लगे क्रिमिनल, बढ़ने लगीं हत्या और जुर्म की घटनाएं ए अहमद सौदागर लखनऊ। बलरामपुर निवासी 27 वर्षीय रामनरेश की सड़क हादसे में मौत नहीं हुई थी, उसकी बेरहमी से हत्या की गई थी। जांच पड़ताल कर रही […]

Read More
Raj Dharm UP

सनसनी: पूर्व सांसद धनंजय सिंह के गनर की गोली मारकर हत्या, इलाके में हड़कंप, पुलिस फोर्स मौके पर

ए अहमद सौदागर लखनऊ। यूपी में बेखौफ बदमाशों का कहर थम नहीं रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की गुत्थी सुलझ भी नहीं पाई थी कि असलहों से लैस बदमाशों ने जौनपुर जिले के पूर्व सांसद धनंजय सिंह के निजी गनर अनीस खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना सिकरारा क्षेत्र […]

Read More