जब पेंड़ और पौधों की ज़रूरत के
अनुसार ही काट-छाँट की जाती है,
उनका वृद्धि, विकास होने लगता है,
यह उनकी जड़ें भी मजबूत करता है।
निर्जीव शाखायें काट दी जाती हैं,
तब उनकी हरियाली भी बढ़ती है
नई शाखायें पनपने भी लगती हैं,
और एक वृक्ष की शक्ल मिलती है।
मानव जीवन भी कुछ ऐसा ही होता है,
प्रौढ़ता आने के साथ बचपन जाता है,
सोच व समझ में बदलाव भी आता है,
और तब विचारों में परिमार्जन आता है।
विचार और सोच को नये विचारों से
नई दिशा व नई अनुभूति मिलती है,
मानव जीवन दृढ़ता से आगे बढ़ता है,
धीरे धीरे मानव महामानव बनता है।
स्पष्ट विचार, स्पष्ट धारणा और
स्पष्ट निर्णय सफल और अच्छे
मनुष्य के सकारात्मक लक्षण हैं,
जीवन में बढ़ने के लिए सार्थक हैं।
सफलता के लिए सिर्फ सोच ही नहीं
बल्कि सार्थक कर्म भी जरूरी होते है,
रास्तों को देखते रहना पर्याप्त नहीं है,
रास्तों पर आगे बढ़ना जरूरी होता है।
ज्ञान हमें साहस, आत्मविश्वास देता है,
आदित्य चरित्र हमें सदा सम्मान देता है,
आशा व विश्वास किस पर करते हैं,
हम पर निर्भर है, ये अच्छे गुण होते हैं।