Human life

Litreture

कविता : कवि की कविता कि सीमा है,

कवि की कविता की सीमा है, वह जितनी कल्पना करता है, बस उतना ही तो कह पाता है, शेष सभीअनकहा रह जाता है। मन जब खोया खोया लगता है, तब तन भी मुरझाया सा लगता है, पर खोया कभी कहाँ मिल पाता है, बस मिला हुआ भी खो जाता है । मानव जीवन में तो […]

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पेंड़ पौधों की काट छाँट व मानव जीवन का परिमार्जन

जब पेंड़ और पौधों की ज़रूरत के अनुसार ही काट-छाँट की जाती है, उनका वृद्धि, विकास होने लगता है, यह उनकी जड़ें भी मजबूत करता है। निर्जीव शाखायें काट दी जाती हैं, तब उनकी हरियाली भी बढ़ती है नई शाखायें पनपने भी लगती हैं, और एक वृक्ष की शक्ल मिलती है। मानव जीवन भी कुछ […]

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