बहुत याद आते हो मेरे बड़े भैया ” कृष्ण कुमार”

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

लखनऊ। आज ही की तारीख २२ सितंबर,१९४५ को मेरे बड़े भैया स्व. कृष्णकुमार मणि त्रिपाठी का जन्म बस्ती जनपद( वर्तमान संतकबीरनगर) के परसा शुक्ल (मेरे ननिहाल) में हुआ था । १७ साल की आयु मे उन्होंने नचिकेता खंड काव्य की रचना की,जिसकी भूमिका सुमित्रा पंत ने लिखी थी। निराला का आशीर्वाद मिला और विरोचन उपनाम मिला। हिन्दी कविता लेखन की शुरुआत बचपन से की …पर १९६०- ७० के दशक मे गोरखपुर के अच्छे कवियों मे पहचान बनी।

यहां डॉ परमानंद श्रीवास्तव,डॉ विश्वनाथ तिवारी,सुधाबिन्दु जी,हरिहर सिंह, आनंद स्वरूप वर्मा,माधव पांडेय मधुकर, देवेन्द्र कुमार बंगाली,डॉ पीएसअवस्थी,सुरेंद्र काले,विद्याधर विज्ञ,मृदल अस्थाना,किशोर अस्थाना,जगदीश लाल श्रीवास्तव,डॉ अनंत मिश्र उनकी कवि मित्रमंडली मे थे। १९७१ मे वे दिल्ली आगए फरीदाबाद से प्रकाशित इंटेक की पत्रिका के संपादन कार्य मे जुटे साथ ही दिनमान मे ( अज्ञेय जी के संपादकत्व मे ) उनके लेख और आलोचना( संपादक नामवर सिंह) मे उनकी रचना तथा उसकी समीक्षा प्रकाशित हुई। योगराज थानी, प्रभाकर माचवे, लक्ष्मीनारायण लाल, निर्मल वर्मा, मुद्राराक्षस, कमलेश जी, डॉ भगवान सिंह आदि से अक्सर मुलाकात होती तो साहित्यिक चर्चाओं का दौर चलता। कनाट प्लेस का काफी हाउस गवाह है, जहां ये लोग काफी पीते और घंटो गुजारते थे। चित्रकार स्वामीनाथन भी मित्र मंडली मे थे । इन्फ्लैमेशन के कारण जब नेत्र कमजोर हुए तो घर का रुख किया..दवा कराई और राजकीय माध्यमिक विद्यालय मे अंग्रेजी प्रवक्ता हो गए। डॉ केदारनाथ सिंह से नई कविता पर खूब चर्चा होती।

अंग्रेजी प्रवक्ता के रुप मे पहली पोस्टिंग देवरिया स्थित जीआईसी मे थी। फिर हमीरपुर,चरखारी,ज्ञानपुर और पनियरा मे स्थानांतरण होता रहा कविता लेख लिखते रहे…पर कवि मंडली से भी दूर होते गए । उत्कर्ष आदि साहित्यिक पत्रिकाओं मे छपते रहे । अध्यापन कार्य के साथ विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। रुसी भाषा लेकर इन्होंने इंटरमीडिएट किया, जिसे पढ़ने विश्वविद्यालय के प्रो. केसरी नारायण शुक्ल के पास जाते थे। हिन्दी,अंग्रेजी,संस्कृत से बीए तो अंग्रेजी से एमए किया।

विज्ञान पर लेखन करते थे साथ ही तन्त्र पर अच्छा खासा अघ्ययन था। कविता,अकविता,नई कविता सबकी बानगी इनकी रचनाओं मे मिलती है। पर ऐसे विलक्षण प्रतिभा के धनी कवि साहित्यकार की एक भी पुस्तक प्रकाशित नहीं हो सकी। समय के गर्भ मे उदय के साथ विलीन हो गए। कैंसर की बीमारी से ५१ वर्ष १० माह की अवस्था में ३० जुलाई,१९९७ को अपने पैतृक निवास आनंदनगर,महाराजगंज मे इस प्रतिभाशाली सूर्य का अस्त होगया । इस पितृपक्ष मे उनके जन्मदिन पर हम पुष्पांजलि के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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