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कविता : शोक नहीं, ये दुनिया ख़ुशी मनाये

दुष्कर्म इतने नही करने चाहिए कि मौत आने पर लोगों को त्यौहार के जैसा एहसास भी लगने लग जाये, शोक नहीं, ये दुनिया ख़ुशी मनाये। कोई दुर्दांत डाकू बन लूटता है, माफिया बन जग को सताता है, झूठा सन्त बन दुष्कर्म करता है, पैसे से ग़रीब का खून चूसता है। कविता : हम दुनिया में […]

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