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कुंडली में यह योग बना देता है जातक को प्रसिद्ध और ज्ञानी

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता जब बृहस्पति हंस महापुरुष योग बनाते हैं तो अति शक्तिशाली परिणाम देते हैं। इस योग वाले व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा बहुत ऊंची हो जाती है। व्यक्ति शिक्षा सम्बन्धी कार्य या प्रवचन करता है। लोग उससे सलाह लेने आते हैं। जन्म पत्रिका के शक्तिशाली योगों में से एक है हंस महापुरुष योग। […]

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श्रेष्ठ भविष्यवक्ता बनने के लिए आपकी कुंडली में होने चाहिए ये योग

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता आज जैसे-जैसे विज्ञान प्रगति के सोपान चढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ज्योतिष व विज्ञान का फासला कम होता जा रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले कुछ दशकों में ज्योतिष विज्ञान के रूप में प्रसिद्धि पा लेगा। लेकिन यह तभी संभव है, जब श्रेष्ठ व विद्वान ज्योतिषीगण ज्योतिष कार्य […]

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ज्योतिष में क्या होती है योगिनी दशा? कौन-सी योगिनी दशा होती है शुभ

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता ज्यादातर ज्योतिषी जातक के वर्तमान व भविष्य के बारे में जन्म कुंडली, गोचर व विंशोत्तरी दशाओं से भविष्यफल बताते हैं लेकिन एकाध ज्योतिषी ही हैं जो जातक के भविष्यफल कथन में योगिनी दशाओं की भी सहायता लेते हैं। यूं विंशोत्तरी दशा को सर्वत्र ग्राह्य व मान्य किया जाता है किंतु विंशोत्तरी […]

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मुंथा क्या है और इसको अपनी कुण्डली में कैसे देखें?

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता वर्ष कुण्डली में गणना के संदर्भ में मुंथा का अत्यधिक उपयोग किया जाता है। जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और हर वर्ष यह एक राशि आगे बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी का जन्म मेष लग्न में हो तो जातक के जन्म समय मुन्था […]

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कुण्डली का दशम यानी कर्म भाव: कैरियर के साथ साथ वित्तीय स्थिति और सामाजिक प्रतिष्ठा को भी दर्शाता है

जयपुर से राजेंद्र गुप्त वैदिक ज्योतिष के मुताबिक कुंडली में दशम भाव काफी महत्व रखता है। इस भाव को ज्योतिष में कर्म भाव भी कहा जाता है। दशम भाव जातक के कर्म को निर्धारित व नियंत्रित करती है। इसके अलावा भी दशम भाव कुंडली व जातक पर अलग प्रभाव डालता है। वैदिक ज्योतिष में भाव […]

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जन्म कुंडली के दोष दूर कर देते हैं त्रिकोण में बैठे बलवान ग्रह

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता वैदिक ज्योतिष में 9 ग्रह, 12 राशियां और 12 भावों को मिलाकर जन्मकुंडली बनाई जाती है। कुंडली के 12 भावों में सभी का अलग-अलग नाम और महत्व होता है। किसी भी कुंडली का फलादेश करने में लग्न के बाद सबसे अधिक महत्व त्रिकोण स्थानों को दिया जाता है। कुंडली का 5वां […]

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