उत्तरप्रदेश में कल पूरे दिन बुलडोजर नहीं चला, न कोई मिट्टी में मिला, पता है क्यूं..?
रंजन कुमार सिंह
यू.पी.में ए.डी.जी. प्रशांत कुमार के साढ़ू डॉक्टर संजय कुमार बिहार में डॉक्टर हैं , बृहस्पतिवार शाम आठ बजे के बाद से लापता हैं। डॉक्टर संजय कुमार की साली डिम्पल वर्मा और बड़ी बेटी भी आई.ए.एस. है, जो यू.पी. में तैनात है। डॉक्टर संजय कुमार बृहस्पतिवार की शाम को पटना से मुजफ्फरपुर जाने के लिए निकले थे। शाम पौने आठ बजे तक उनकी अपनी पत्नी सलोनी वर्मा जो इंग्लिश की प्रोफेसर हैं , से आखिरी बार बातचीत हुई थी। तब डॉक्टर संजय कुमार ने खुद गांधी सेतु पर जाम में फंसा होना बताया था। मगर उसके बाद उनका फोन न उठने और मुजफ्फरपुर न पहुंचने पर उनकी पत्नी ने तुरंत ए.डी.जी. प्रशांत कुमार, अपनी बेटी और बहन को फोन किया तथा ए. डी.जी. (यू. पी.) ने ए.डी.जी., (बिहार) को।
तब पटना पुलिस ने गांधी सेतु के पिलर नंबर 46 से उनकी रुकी हुई कार को ट्रेस किया। जब कार मिली, तब दूसरी चाभी से खोलकर देखा गया, तो अंदर उनके दो मोबाइल फोन मिले। लेकिन डॉ. संजय कुमार लापता थे। इसलिए अतीक के दोनों लड़कों को परसों शाम को ही बाल सुधार गृह भेज दिया गया था और कल अतीक के किसी भी करीबी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। यकीनन यह कृत्य दु:स्साहस से भी परे है और बिना मजबूत राजनीतिक संरक्षण के यह संभव भी नहीं। क्योंकि मुलायम परिवार और लालू परिवार की आपसी रिश्तेदारी किसी से छिपी नहीं है और अब जब सत्ता की कुर्सी का एक पाया लालू यादव के घर में है, तब इस प्रकार का दु:स्साहस होना कोई अचरज की बात नहीं है।
योगी आदित्य नाथजी पर सीधे हाथ डाला नहीं जा सकता था और यह कार्यवाही रोकने के लिए यकीनन योगी जी के किसी मजबूत मोहरे की तलाश थी। तो ए.डी.जी. प्रशांत कुमार के साढ़ू डॉक्टर संजय कुमार से ज्यादा सॉफ्ट तारगेट भला कौन मिलता ? वो भी तब, जब वे बिहार में हों। ऑपरेशन मिट्टी के तहत बिछी शतरंज की यह बिसात जाने क्या रंग दिखलाएगी। मगर यह तय है कि जिन्दगी और मौत पर बिछी इस शतरंज की बाजी को जीतने के लिए सीधे राजा को ही शह और मात देनी होगी। कब और कैसे ? यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। फिलहाल तो यह बाजी गुनाहगारों के हाथों में चली गई है।