कड़ा, ब्रेसलेट या लॉकेट पहनें सोच-समझकर, इससे हो सकता है नुकसान

यह रत्न कभी भी एक साथ धारण नहीं करना चाहिए

ज्योतिषाचार्य उमाशंकर मिश्र

आजकल हाथ में कड़ा पहनने के अलावा ब्रेसलेट आदि पहने का चलन भी हो चला है। कुछ लोग तो फैशन के चलते गले में ऐसी वस्तुएं या लॉकेट भी लटकाने लगे हैं जिनसे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन फैशन के चलते सब कुछ जायज है। हालांकि क्या नुकसान हुआ है इसका पता तो बाद में ही चलता है जब वक्त गुजर जाता है। समीक्षा करेंगे तो पता चलेगा। कहीं फैशन के चक्कर में आप अपनी सेहत या ग्रह-नक्षत्रों के सकारात्मक प्रभाव को बिगाड़ तो नहीं रहे हैं?

लाल किताब के अनुसार कलाई पर, अंगुलियों में या गले में कोई सी भी धातु को बहुत ही सोच समझ कर पहनना चाहिए यह आपके लिए घातक भी सिद्ध हो सकती है। लाल किताब के अनुसार हाथ पराक्रम भाव है, गला लग्न भाव है और प्रत्येक धातु का एक ग्रह-नक्षत्र है जिसका उस पर प्रभाव होता है।

गले या हाथ में कुछ तो भी बगैर सोचे-समझे पहने से आपके मस्तिष्क में परिवर्तन तो होता ही है साथ ही आपके रक्तचाप में भी बदलावा आ सकता है। हो सकता है कि इससे धीरे-धीरे आपकी बैचेनी बढ़ रही हो। हृदय की धड़कने धीमी पड़ने लगी या और तेज चलने लगी हो? आपको इसके असर का उसी तरह पता नहीं चलता है जिस तरह की काले या मटमेले रंग के कपड़े पहनने के असर का पता नहीं चलता है।

ब्रेसलेट :

आजकल ब्रेसलेट पहने का फैशन भी चला है। ब्रेसलेट कई प्रकार के होते हैं और उनमें कई तरह की धातुओं आदि का स्तेमाल किया जाता है। यह दिखने में सुंदर होते हैं लेकिन हो सकता है कि यह आपके लिए नुकसानदायक हो। आप ब्रेसलेट चयन करते वक्त वह किस धातु का बना है इसकी जांच अवश्य कर लें और यह धातु आपके सूट करती है या नहीं यह भी जान लें।

लॉकेट :

वर्तमान में गले में क्रॉस का चिन्ह लटकाना, गिटार लटकाना, बंदूकी की गोली लटकाना या अपने किसी गुरु का लॉकेट पहने का प्रचलन चल पड़ा है। क्रॉस एक ऐसा चिन्ह है तो हमें कब्रिस्तान की याद दिलाता है। इसके अलावा लोग लोहे, स्टील या जर्मन की धातु का लॉकेट भी पहनते हैं। कोई किसी देवी या देवता का लॉकेट पहनता है तो कोई रुद्राक्ष की माला, कुछ लोग तो अभिमंत्रित किया हुआ ताबिज पहनते हैं।

हालांकि ज्योतिष इसे पहने की इजाजत दे तो निश्चित ही पहनें। लेकिन यह सब पहनना व्यर्थ है। गला हमारा लग्न स्थान होता है और लॉकेट पहनने से हमारा हृदय और फेफड़े प्रभावित होते हैं। अत: लॉकेट सिर्फ तीन तरह की धातु का ही पहनना चाहिए पीतल, चांदी और तांबा। सोना भी सोच-समझकर ही पहने। यह भी देखना जरूरी है कि लॉकेट किस प्रकार का है।

ॐ बना हुआ या फिर हनुमानजी का लॉकेट ही पहनना चाहिए। इसके अलावा आप मात्र एक गोल धातु का लॉकेट भी पहने सकते हैं। धातु का गोल होना इसलिए जरूरी है कि इससे आपके आसपास ऊर्जा का वर्तुल सही बनेगा। इसके और भी कई लाभ हैं।

धातु का कड़ा :

धार्मिक कड़ा पहनने के नियम उसी तरह हैं जिस तरह की यज्ञोपवीत पहनने के नियम हैं। बहुत से लोग कड़ा पहनने के बाद किसी भी प्रकार का नशा करते हैं या अन्य कोई अनैतिक कार्य करते हैं तो उसे इसकी सजा जरूर मिलती है इसलिए कड़ा सोच-समझकर पहनें। दूसरी बात इसमें कौन से और कितने रंगों का इस्तेमाल किया गया है यह भी अच्छे से समझ लें।

प्लास्टिक का ब्रेसलेट तो बहुत ही खराब होता है। दूसरी बात आजकल हर कोई फैशन के चलते हाथ में कड़ा पहनलेता है। यह भी नहीं देखता है कि वह किस धातु का है। अब सवाल उठता है कि कड़ा कौन-सा पहने? इसका जवाब है कि पीतल, तांबा या चांदी का कड़ा पहनें। कुछ लोग पीतल और तांबे का मिश्रित कड़ा पहनते हैं।

ऐसी मान्यता है कि पीतल से गुरु, तांबे से मंगल और चांदी से चंद्र बलवान होता है। लोहे का कड़ा, स्टील का कड़ा या जर्मन का कड़ा तो कतई न पहने। कड़े का मूल चमत्कार : कड़ा हनुमानजी का प्रतीक है। पीतल और तांबा मिश्रित धातु का कड़ा पहनने से सभी तरह के भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। हालांकि कड़ा पहनने के नियम होता है। यह भी की कड़ा किसे पहनना चाहिए और किसे नहीं इसके भी नियम हैं। इसके अलावा हाथ में कड़ा धारण करने से कई तरह की बीमारियों से भी रक्षा होती है। जो व्यक्ति बार-बार बीमार होता है उसे सीधे हाथ में अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए। मंगलवार को अष्टधातु का कड़ा बनवाएं।

इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएं। शनिवार को ही किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर कड़े को बजरंग बली के चरणों में रख दें। अब हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद कड़े में हनुमानजी का थोड़ा सिंदूर लगाकर बीमार व्यक्ति स्वयं सीधे हाथ में पहन लें। ध्यान रहे, यह कड़ा हनुमानजी का आशीर्वाद स्वरूप है अत: अपनी पवित्रता पूरी तरह बनाए रखें। कोई भी अपवित्र कार्य कड़ा पहनकर न करें अन्यथा कड़ा प्रभावहीन तो हो ही जाएगा, साथ ही इसकी आपको सजा भी मिलेगी।

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