फाइलों में कैद हो गई एसटीएफ की जांच रिपोर्ट!

लखनऊ जेल में बंगलादेशी बंदियों की फंडिंग का मामला

एसटीएफ की जांच रिपोर्ट में हुई थी पैसे के लेनदेन की पुष्टि

आर के यादव

लखनऊ। राजधानी की लखनऊ जेल में बांग्लादेशी बंदियों की फंडिंग के मामले में लखनऊ लीपापोती कर डाली गई। एसटीएफ और डीआईजी जेल की जांच के बाद भी इस गंभीर मामले के दोषी अफसरों व वार्डरों को क्लीन चिट दे दी है। ऐसा तब है जब जेल में बंद बांग्लादेशी बंदियों के पास ढाका से कोलकाता होते हुए लखनऊ जेल पैसा आने के एटीएस के पास पर्याप्त साक्ष्य मौजूद है। एटीएस की टीम बीते करीब एक पखवाड़े से अधिक समय से इस मामले की जांच की। इसमें लखनऊ जेल में तैनात दर्जनों वार्डरों से पूछताछ भी कई गई थी।

मामला राजधानी की लखनऊ जेल का है। जिला जेल में बांग्लादेश के कई विचाराधीन व सजायाफ्ता बन्दी निरुद्ध है। सूत्रों का कहना है कि बंदियों के खर्चापानी की फंडिंग बांग्लादेश से हो रही है। बांग्लादेशी बंदियों की फंडिंग में जेल के कई अधिकारी व वार्डर शामिल है। बंदियों के मैसेज भेजने के लिए वार्डर दो सौ से पांच सौ रुपये तक वसूल करते है। सूत्रों का कहना है कि स्थानीय व आसपास जिलों के बंदियों के अलावा बांग्लादेशी बंदी भी इन्ही वार्डर से मैसेज करवाते है। मैसेज के माध्यम से बन्दी खर्च के लिए पैसा मंगवाते है। विदेशों से आनी वाली रकम का 10 फीसद हिस्सा रकम लाने वाला वार्डर रखता है शेष धनराशि जेल में बंद बंदी को मिल जाती है।

मामले का खुलासा होने पर जेल मुख्यालय के तत्कालीन मुखिया डीजी पुलिस व आईजी जेल ने इस मामले की जांच लखनऊ परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआईजी जेल को सौंपी। सूत्रों को कहना है कि जांच के दौरान उन्होंने एटीएस के चिन्हित करीब 40 बंदियों व वार्डरों के बयान भी दर्ज किए। इसके बाद जांच अधिकारी ने मामले के दोषी अफसरों को क्लीन चिट दे दी गई।
एसटीएफ और डीआईजी जेल की दोहरी जांच के बाद भी इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सूत्रों का कहना है कि डीआईजी ने तत्कालीन विभागाध्यक्ष को जो जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमें कुछ वार्डरों की भूमिका संदिग्ध बताते हुए जेल प्रशासन के अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई, जबकि एसटीएफ की जांच में पैसे के लेनदेन में लगे कई वार्डरों के बैंक खातों में मोटी रकम होने की पुष्टि हुई है। सूत्र बताते हैं कि करीब एक माह तक एसटीएफ ने इस मामले की गहन जांच की। एसटीएफ ने मामले की जांच रिपोर्ट तत्कालीन विभागाध्यक्ष को सौंपी। यह जांच रिपार्ट अभी तक फाइलों में दबी पड़ी हुई है।

ऐसा कोई मामला संज्ञान में नहीं-DIG जेल

लखनऊ जेल में बंगलादेश बंदियों की फंडिंग के मामले की जांच रिपोर्ट के संबंध में जब जेल मुख्यालय के डीआईजी जेल अरविंद कुमार सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला फिलहाल उनके संज्ञान में नहीं है। उनकी तैनाती के पूर्व की यह घटना है। जहां तक रही एसटीएफ की जांच रिपोर्ट के मामले की बात तो वह पता करके ही इस बारे में कुछ बता पाएंगे। जांच में यदि जेलकर्मी दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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