छलकते जाम, मचलते वोटर और शह की बिसात

  • लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे चरण का प्रचार एक दिन बाद थम जाएगा लेकिन इसका सुरुर अभी बाकी है

ए अहमद सौदागर

लखनऊ। लोकसभा 2024 का  दो चरण का चुनाव खत्म हो गया अब तीसरे चरण का चुनाव सात मई को होने जा रहा है और इसका प्रचार 24 घंटे पहले थम जाएगा। झंडे – डंडे वाली गाड़ियों पर भी ब्रेक लग जाएगा, लेकिन पहले से ही रातें गुलज़ार हैं। देहाती चुनाव की तरह इस महा रण में भी खेत-खलिहान, चौपाल और गलियारों में मयखाने जरुर सजते संवरते नजर आ रहे हैं।

जानकारों की मानें तो कहीं करीना, बार्डर व अन्य ब्रांड खुल रहा है… तो कहीं देशी तो कहीं विदेशी बोतलों से निकली मय पहुंच रही है। सुरुर की लौ में भलाई बुराई के बीज भी खूब पक रहे हैं। मतदाता जोड़े और तोड़े जा रहे हैं। दो चरणों का चुनाव खत्म होने के बाद अब अगला चुनाव सात मई, फिर 13 मई , 20 मई, 25 मई व एक जून को वोटिंग  होगी जबकि नतीजे चार जून को आएंगे और यह पता चल जाएगा कि जीत का किसके सिर पर होगा। इस चुनावी महा रण में भले ही किसी के मन में कुछ हो, लेकिन जानकारों की मानें तो रातें गुलज़ार नजर आ रही हैं।

पूरी ताकत झोंक रहे हैं प्रत्याशी

लोकसभा चुनाव का प्रचार दिन-प्रतिदिन तेजी पकड़ रहा है। राजनीतिक पार्टियां हों या फिर निर्दलीय प्रत्याशी सभी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा या महागठबंधन के प्रमुख नेता राज्यों के अलग-अलग जिलों में खेमा डालने के साथ-साथ जनसभा कर मतदाताओं को रिझाने में जुटे हुए हैं।

छिड़ा हुआ है घमासान

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल तक घमासान मचा हुआ है। कोई विकास का मुद्दा तो कोई जाति को अहम मानकर मतदाताओं से वोट मांगने पर जोर आजमाइश कर रहे हैं। लिहाजा 80 सीटों वाले राज्य में सीटों पर ऊंट किस करवट बैठेगा? किस दल के हाथ कितनी सीटें लगेंगी? इसको लेकर कोई सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है। परंपरागत ढंग से शहरी क्षेत्र में बड़े राजनीतिक दल व ग्रामीण इलाकों वाले लोकसभा क्षेत्र अन्य दलों का दबदबा रहने की कही जा रही है।

 एक-दूसरे को पटखनी लगाने में जुटे सियासी दल…

लोकतंत्र के अदभुत मेले में इन दिनों खट्टी-मीठी तकरारों की बौछार भी है। घर से गली की नुक्कड़ तक और बाजारों ने चुनावी समीकरण को लेकर अपने-अपने के दावों ने अपने चहेतों को आमने-सामने खड़ा कर दिया है। हंसी-मजाक से शुरू होने वाली तकरीर कभी गंभीर हो जाती है, तो तमाम बार अपने दल व नेता को लेकर कोई न कोई तोहफा दांव पर लग जाता है।

 

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