कविता : हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

हवा हवायें हैं,सब हवा हवायें हैं,
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं।
सारे वादे, सारे नारे बस हवा हवायें हैं,
कोई कहता है हम करके दिखलायेंगे,
कोई कहता पहले कर दिखलाये हैं,
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं।
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं।

  धन अर्जन इतिहास सत्य अत्यंत,
अजब अन्वेषण, धरा के मानव का,
पर मानव चरित्र परखने के अत्यंत
विश्वस्त साधन भी यही धन हैं।
हवा हवायें, सब हवा हवायें हैं,
हवा हवायें, सब हवा हवायें हैं।

अमृत उत्सव सब मना रहे हैं,
ओ पी डी में हम तड़प रहे हैं,
जितना धन संपति कमाये हैं,
मरने से पूर्व अस्पताल दे आये हैं,
अपनों के लिये कहाँ छोड़ पाये हैं।
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं,
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं।

      एक डाक्टर भगवान सदृश होता था,
जिसे देख रोगी का रोग दूर होता था,
अब ये धन अर्जन व्यापार बनाये हैं,
और वही आज यमराज बन आये हैं।
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें है,
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं।

ये भी पढ़ें

कविता :  सब ठीक है कहना चाहिए

 

खेत बिक गये, गहने आभूषण बेंचे,
बिल देने को घर की गेहूं दालें बेंचे,
घर द्वार बेंच सब इन्हें दे दिया है,
बस अब तो जीवन जीने के लाले हैं।
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं,
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं।

    कहते तो हैं सब कुछ निशुल्क है,
दवा, इलाज खाना पीना आना जाना,
सब कुछ सरकार प्रशासन का है,
पर यहाँ तो मिलते झाँसे ही झाँसे हैं।
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं,
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं।

आदित्य दवाएँ भी मिलती नक़ली हैं,
सस्ती चाक मिला बनती टेबलेट हैं,
पानी भरे इंजेक्शन मिलते नक़ली हैं,
अब तो मृत शरीर भी बदले जाते हैं।
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं,
हवा हवायें हैं, सब हवा हवायें हैं।

 

Litreture

चार लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषिकुमार मणि त्रिपाठी लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ लघु कथा एक झलक लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ साग्न स्टूडेंट टाउन से मशहूर क्लब सेवेन शहर ओस्लो के मध्य रात ग्यारह बजे आगए। डिस्कोथेक के जीवंन्त संगीत आर्केस्ट्रा सभी नि:शुल्क प्रवेश  मदिरा पीकर अनजान लड़कियो के बांहो मे बाहें डाले रात भर नाचते। मै […]

Read More
Litreture

जल की एक बूंद

जल की एक बूंद करती है सृजन रचती है विश्व को । जल की एक बूंद बनती वंश लोचन सीप मे मोती गजमुक्ता चमकाती आनन । जल की एक बूंद करती है प्राणदान बनती चरणामृत विष्णु पदनख की सुरसरिता पालती विश्व को। जल की एक बूंद ऋषियों का अस्त्र थी नयनो की भाषा बच्चों की […]

Read More
Litreture

नारायण जो हर पल रचते नई कहानी

है अनंत आकाश हमारा घर आंगन. मै चिडिया बन उड़ता रहा गगन में सब दिन| अपने तो मिल सके नहीं पूरे जीवन भर, मै सपने मे सबको अपना मान चुका था ||1|| टूट गया भ्रम जब देखी मैने सच्चाई यहां कागजी नावें चलती हर दरिया में | कश्ती कब पानी मे डूबी समझ न पाया, […]

Read More