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पुण्यतिथि विशेष स्मरणोत्सव : पं सीताराम त्रिपाठी जिनसे सीखते हैं लोग समर्पण

जीवन को सत्य की साधना बनाना हर व्यक्ति नहीं जानता लेकिन जो अपने जीवन को साध लेते हैं वे सत्यानुयायी बन जाते हैं। पूज्य पिताजी को जब-जब मैं देखा उन्हें अपने कर्त्तव्य के प्रति सत्यानुयायी ही पाया। वह डाकघर में पोस्ट मास्टर थे। ब्रांच पोस्ट मास्टर (बीपीएम) यानी शाखा डाकपाल। मेरे घर में ही डाकघर […]

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गरचे टेलीफोन न बनता! तो कैसा आलम होता?

सोचिए यदि टेलीफोन न होता तो? दुनिया दूरियों में खो जाती। पृथकता गहराती। फासले लंबाते। मानवता बस चिंदी चिंदी ही रह जाती। मगर आज ही के दिन (10 मार्च) ठीक 146 साल पूर्व एक घटना ने सब कुछ बदल डाला। तभी 29-वर्षीय एलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन को इजाद किया। उनका तुक्का भिड़ गया। उनकी […]

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