पाकिस्तान ने सेना पर लुटा दिया खजाना, हो गया कंगाल,

शहबाज शरीफ अब घूम-घूमकर मांग रहा है दुनिया से कर्ज


उमेश तिवारी


काठमांडू/नेपाल । पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर है। इसके बावजूद पाकिस्तान का सैन्य खर्च रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर दुनियभर में घूमकर कर्ज की गुहार लगा रहे हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में पाकिस्तान का ब्याज व्यय 2.67 ट्रिलियन रुपये हो चुका है। यह पाकिस्तान के सालाना कर्ज चुकाने वाले बजट का 65 फीसदी हिस्सा है। ऐसे में पाकिस्तान सरकार रक्षा को छोड़कर बाकी खर्चों में कटौती करने के लिए मजबूर हो रही है। पाकिस्तान सरकार यह नहीं चाहती कि सेना के बजट में किसी भी प्रकार की कमी की जाए, क्योंकि इससे सरकार के अस्थिर होने का खतरा ज्यादा है।

सेना को छोड़ हर विभाग में कटौती कर रहा पाकिस्तान

ताजा डेटा के अनुसार, पाकिस्तान में डिफेंस सेक्टर को छोड़कर अन्य सभी खर्चों मे 15 फीसदी की कमी आई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, अन्य खर्चों के लिए जगह बनाने के लिए विकास खर्च में 50 फीसदी की कमी की गई है। सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने ब्याज लागत में लगभग 2.57 ट्रिलियन रुपये का भुगतान किया, जो पिछले साल के मुकाबले 77 फीसदी अधिक है। पाकिस्तान सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज खर्च के रूप में 3.95 ट्रिलियन रुपये का बजट रखा था, लेकिन इसका 65% केवल छह महीनों में खर्च हो गया है।

पांच ट्रिलियन हो सकती है कर्ज चुकाने की लागत

इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा था कि इस वित्तीय वर्ष में कर्ज चुकाने की लागत लगभग 5 ट्रिलियन रुपये तक बढ़ सकती है। यह इस साल के कुल बजट 9.6 ट्रिलियन रुपये के आधे से अधिक के बराबर होगी। अनिश्चित स्थिति के बावजूद, वित्त मंत्रालय देश की दीर्घकालिक कर्ज या घरेलू ऋण का पुनर्गठन करने के मूड में नहीं है।

पाकिस्तानी सेना पर छह महीने में 638 अरब रुपये खर्च

सूत्रों के मुताबिक, सैन्य पेंशन और सशस्त्र बलों के विकास कार्यक्रम पर खर्च को छोड़कर, छह महीने में रक्षा पर 638 अरब रुपये खर्च किए गए। यह राशि पिछले साल की तुलना में 23 फीसदी या 118 अरब रुपये अधिक है। पाकिस्तान का वार्षिक घोषित रक्षा बजट 1.563 ट्रिलियन रुपये है। हालांकि, खर्च की गई यह राशि छह महीने का खर्च आवंटन के अनुरूप है।

सेना का खर्च कम नहीं कर सकता पाकिस्तान

पाकिस्तान की मजबूरी है कि वह सेना के बजट में कटौती नहीं कर सकता। पाकिस्तान में सरकार को सेना ही चलाती है। इसके अलावा पाकिस्तानी सेना अपनी आय के लिए अन्य भी कई तरह के बिजनेस करती है। पाकिस्तान का इतिहास गवाह रहा है कि वहां नागरिक शासन की तुलना में सैन्य ताकत काफी ज्यादा है। सेना हमेशा से किंगमेकर की भूमिका में है।

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