उमेश तिवारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने जब से सीमावर्ती जिलों में मदरसों की जांच शुरू कराई है तब से नए मदरसे खोलने की प्रवृत्ति पर रोक लगी है। वहीं, सीमा से चंद दूरी पर नेपाल में मदरसे व मस्जिद बनने की गति में विगत छह माह के अंदर भारी इजाफा हुआ है। खुफिया एजेंसी की मानें तो इस समय खुली सीमा के माध्यम से भारत में प्रवेश करने का सबसे आसान रास्ता श्रावस्ती है। यहां पगडंडियों से होकर आया जा सकता है। यहां तक कि मदारगढ़ सहित कुछ गांव ऐसे भी चिह्नित किए गए हैं जहां भारत नेपाल नो मेंस लैंड की सीमा एक ही गांव से होकर गुजरी है। ऐसे में देखा जाए तो पूरा गांव नोमेंस लैंड पर बसा है। इस गांव में कुछ ही दिनों में मदरसे व मस्जिद कायम हो गईं हैं। खुफिया एजेंसी ने श्रावस्ती के इन रास्तों से बांग्लादेशी व पीएफआई सदस्यों की घुसपैठ की आशंका भी जताई है।
मदरसों की खान है जमुनहा ब्लाक
राज्य सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रहे मदरसों की जांच कराई थी। श्रावस्ती में ही 192 अवैध मदरसों की पुष्टि हुई थी। अवैध मदरसों में सबसे अधिक करीब साठ फीसदी अकेले भारत नेपाल सीमा से सटे जमुनहा ब्लॉक में हैं। सभी मदरसे कागजों में भले ही पंजीकृत न हो, लेकिन यहां की बिल्डिंग व अन्य व्यवस्थाएं सरकार की ओर से संचालित मदरसों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर है। अवैध मदरसों के मामलों में इकौना दूसरे नंबर है। यहां 35 फीसदी अवैध मदरसे हैं।
नक्सल से ज्यादा PFI से नेपाल में खतरा
नेपाल के सेवानिवृत्त सेनाधिकारी कृष्ण चंद्र केसी का कहना है कि माओवादी आंदोलन के समय नेपाल में अस्थिरता का दौर रहा, लेकिन उस समय यह पता था कि हम किससे लड़ रहे हैं। इस समय सीमा क्षेत्र के साथ नेपाल के आंतरिक भाग में जिस तरह मदरसे व मस्जिद बन रही हैं वह नेपाल के साथ भारत के लिए भी चिंताजनक है।
हो रही विदेशी फंडिंग
सीमा क्षेत्र में काम कर रही खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी का कहना है कि इन मदरसों को विदेशी फंडिंग आ रही है। उत्तर प्रदेश में सरकार के सख्त रुख के बाद नए मदरसे नहीं बने हैं, लेकिन पुराने अवैध मदरसों का संचालन पहले की तरह ही हो रहा है। नेपाल में तो मदरसों की शानदार बिल्डिंग ही फंडिंग की कहानी बयां करती है।