कहा जाता है कि प्रेम और घृणा,
एक सिक्के के दो पहलू होते हैं,
हर एक इंसान के दो गुण होते हैं,
प्रेम में देते हैं घृणा में छीन लेते हैं।
प्रेम में जुड़ने की ताक़त होती है,
घृणा दूर रहने की व्यथा होती है,
प्रेम में मित्रता की चाहत होती है,
घृणा में शत्रुता की क्षमता होती है।
स्त्री-पुरुष पारिवारिक ज़रूरत हैं,
प्रेम करते हैं तो यह जग चलता है,
घृणा करें तो छिन्नभिन्नता होती है,
दोनों स्थिति में इनकी महत्ता होती है।
रिश्ते बनाये जाते हैं तब बनते हैं,
झूठ, फ़रेब से रिश्ते नहीं निभते हैं,
स्त्री पुरुष की शारीरिक बनावटें,
संसार के लिये सुंदर वरदान होते हैं।
आदित्य सत्य की क्या खोज करें,
इस सत्य को अलौकिक देन मानें,
शिव-पार्वती, श्रीहरिविष्णु-लक्ष्मी,
राधा संग श्याम का सत्संग माँगे।