कविता : अमीर गरीब और समय

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

सदैव स्मरण रहे कि ज़िंदगी खाने के लिये
नहीं, खाना ज़िंदगी जीने के लिये है,
किंवदंती है कि ऋषि चरक ने प्रश्न किया,
जीवन भर कौन व्यक्ति स्वस्थ रहता है?

विद्वान वाग्भट ने उत्तर दिया कि,
“हितभुक, मितभुक, ऋतभुक”,
यानी हितकारी, मितकारी एवं
उचित तरीक़े से ही पाने वाला।

अर्थात् अपनी प्रकृति के अनुसार
हितकारी, उचित मात्रा एवं उचित
तरीक़े से अर्जित कमाई के भोजन
वाला व्यक्ति ही स्वस्थ रहता है।

धूम्रपान मनुष्य के लिए ग़ैर ज़रूरी है,
फिर भी मालामाल सिगरेट बनाने वाला,
मदिरापान के बिना हम जी सकते हैं,
फिर भी शराब का धंधा अरबों वाला।

कविता : आगे कुआँ और पीछे खाईं है

सोना चाँदी हीरे मोती जिनके पास हैं,
वे सारे पैसे वाले अरबों खरबों में जीते हैं,
अनाज के बिना जीवन सम्भव नहीं,
पर खेती करने वाले ग़रीबी में जीते हैं।

अमीर गरीब संसार में कौन कब होता है,
ईश्वर का इशारा है कि समय के
अतिरिक्त कोई कुछ नहीं होता है,
जीवन में समय ही सच्चा मित्र होता है।

समय अनुकूल तो सभी रिश्ते अनुकूल,
समय प्रतिकूल तो सभी रिश्ते प्रतिकूल,
आदित्य समय सदा सबसे बड़ा और
समय ही सबसे बलवान होता है ।

 

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