महिला सशक्तिकरण के लिए समाज में चेतना जगानी होगीः कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल

  • समाज, राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं का बढचढ़ कर योगदानः कुलपति प्रो. निर्मला एस.
  • महिलाओं को उनकी योग्यता के अनुसार मौका दिया जाएः डॉ. अर्चना
  • अविवि में डिजिट ऑल फॉर जेंडर इक्वलिटी विषय पर वेबिनार का आयोजन

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र, महिला शिकायत एवं कल्याण प्रकोष्ठ तथा एक्टिविटी क्लब के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में ‘‘डिजिट ऑल फॉर जेंडर इक्वलिटी‘‘ विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल ने सभी महिला शिक्षकों, कर्मचारियों तथा छात्राओं को आगामी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारे समाज में महिलाएं प्राचीन काल से सशक्त रही हैं। बीसवीं शताब्दी के आसपास महिलाओं से उनके अधिकार छीन लिए गए। वहीं मध्य काल के दौरान समाज में बहुत सी कुरीतियां फैली जिसके कारण महिलाओं को चारदीवारी के अंदर बंदकर उनके निर्णय लेने का अधिकार छीन लिया गया और इस दरमियान महिलाओं को अबला की श्रेणी में रख दिया गया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. गोयल ने बताया कि दुर्गा सप्तशती में सभी महिलाएं देवी का ही स्वरूप है। इसलिए महिलाओं का सम्मान होना चाहिए।

कुलपति ने कहा कि आज की महिलाएं बहुत अच्छी तरह से शिक्षित है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही अच्छा कर रही हैं और कई क्षेत्रों में पुरुषों से भी आगे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय का डाटा यह बताता है कि 27 वें दीक्षांत समारोह में मेडल प्राप्त करने में छात्राओं की संख्या छह प्रतिशत से भी अधिक है। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. गोयल ने बताया कि आज के समय में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। इनमें तमाम उपलब्धियां होने के बावजूद दूर-दराज क्षेत्रों में महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। कई स्थानों पर देखा गया कि अभी भी महिलाएं कुपोषण का शिकार है। समाज में अभी भी कई जगहों पर लड़कियों की शिक्षा तथा स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। कुलपति ने बताया कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समाज में चेतना जगाने के लिए अभी भी बहुत जरूरत है।

इसकी शुरुआत सभी को अपने घर से करने के साथ महिलाओं को जाग्रत करने की जरूरत है। कुलपति प्रो. गोयल ने बताया कि आज लोगों को यह बताने की जरूरत है कि आज की बालिकाएं कल की माताएं हैं। यदि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा तो किसी का भी स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा। महिलाएं सम्मान की अधिकारी हैं। गुरु नानक देव ने भी कहा था महिलाओं के प्रति भेदभाव बिल्कुल भी उचित नहीं है क्योंकि महिलाएं ही हैं जो राजाओं को भी जन्म देती है। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. गोयल ने सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही कई योजनाओं से जागरूक किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर की कुलपति प्रो. निर्मला एस० मौर्या ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च को मनाया जाता है। उन्होंने इस दिवस की शुरूआत जयशंकर प्रसाद की पंक्तियों से की जिसमें नारी की महत्ता को स्पष्ट किया गया है। कुलपति ने कहा कि आज हम सभी डिजिटली सशक्त जिसका साक्षात प्रमाण आज का वेबीनार है।

इस डिजिटल दुनिया में महिलाओं की भागीदारी 43 प्रतिशत है। यह एक तरह से महिलाओं के लिए रोशनी की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए तो हर दिन महिला दिवस है। इनका समाज, राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर जगह महिलाओं का बढचढ़ कर योगदान है। कुलपति प्रो. मौर्या ने बताया कि प्राचीन काल में भी लोपामुद्रा जैसी महिलाएं थी जिनका दबदबा हुआ करता था। महाभारत में भी गांधारी, झांसी की रानी, लक्ष्मीबाई, इंदिरा गांधी, कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल जो कि पूरे उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय का नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने बताया कि छह राज्य विश्वविद्यालयों की महिला कुलपति हैं जो अपने विश्वविद्यालयों को आगे ले जा रही हैं। ये सभी डिजिटल दुनिया से ही जुड़ी हैं। कार्यक्रम में कुलपति ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बताया कि 28 फरवरी 191. को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को मताधिकार देकर मनाया गया था क्योंकि उससे पहले तक महिलाओं को मत का अधिकार नहीं था। उसके पश्चात 1975 में आठ मार्च को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत की गई। तब से लगातार यह दिवस मनाया जाता है।

उन्होंने बताया कि महिलाएं छोटे से छोटा कार्य करके भी स्वरोजगार पैदा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि देश में कुछ ऐसी महिलाएं भी है जो उद्योगपति हैं और भारत का नाम रोशन कर रही हैं। जिनमें फाल्गुनी नायर, विनीता सिंह, गजल अलग, दिव्या गोकुलनाथ व अन्य डिजिटल दुनिया से ही जुड़ी हुई है। वह दिन दूर नहीं जब गांव की बहुत सी महिलाओं के हाथ में मोबाइल होगा और अपने कार्य डिजिटल दुनिया से कर सकेंगी। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. अर्चना शुक्ला, विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग एवं समन्वयक महिला अध्यन केंद्र, लखनऊ विश्वविद्यालय ने कहा कि जेंडर इक्वलिटी का मतलब यह नहीं है कि महिला पुरुष बराबर है बल्कि महिलाओं को उनकी योग्यता के अनुसार मौका दिया जाए। उन्होंने बताया कि हमारे समाज में ऐसा माना जाता है कि बहुत से ऐसे कार्य है जो केवल पुरुषों के द्वारा ही संपन्न किए जा सकते हैं।

समाज में इस तरह की सोच को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि पुरुष ज्यादातर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं। महिलाएं टेक्नोलॉजी कम इस्तेमाल करती है। इन्हे भी सक्षम तथा स्वावलंबी बनाने के लिए टेक्नोलॉजी साउंड होने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मोबाइल ओनरशिप में पुरुषों की 79 प्रतिशत भागीदारी है। जिसमें महिलाओं की 63 प्रतिशत भागीदारी यह बताता है कि महिलाओं को अभी और जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि 21 प्रतिशत पुरुष महिलाओं से ज्यादा इंटरनेट का उपयोग करते हैं। बहुत से ऐसे कारक हैं जो महिलाओं को डिजिटली सक्षम बनाने में बाधक हैं। इसके पीछे कम शिक्षित होना, पैसे की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी तथा प्रेरणा की कमी होना। उन्होंने कहा कि यदि हम इक्वलिटी लाना चाहते हैं तो समान रूप से महिलाओं को स्वस्थ रहने का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार देना होगा।

कार्यक्रम में छात्र अधिष्ठाता कल्याण एवं अध्यक्ष एक्टिविटी क्लब प्रो. नीलम पाठक ने स्वागत उद्बोधन दिया। महिला अध्ययन केंद्र तथा महिला शिकायत एवं कल्याण प्रकोष्ठ, प्रो. की समन्वयक प्रो. तुहिना वर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. स्नेहा पटेल द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रतिभा त्रिपाठी ने किया। तकनीकी सहयोग इंजीनियर संजय चैहान, डॉ. नितेश दीक्षित, डॉ. आशीष कुमार पांडेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. सजय चैधरी, डॉ. सुरेंद्र मिश्र, डॉ. महिमा चैरसिया, डॉ. विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ. निहारिका सिंह, गायत्री वर्मा, डॉ. मनीषा यादव, ई. निधि प्रसाद, डॉ. आरएन पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, छात्राएं ऑनलाइन जुड़े रहे।

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