जेल मुख्यालय में टेंडर के नाम पर करोड़ों का खेल!

चहेती फर्म को ठेका देने की फिराक में जुटे अफसर


राकेश यादव


लखनऊ। प्रदेश की जेलों में चल रहे उद्योगों के रॉ मैटेरियल के खरीद के नाम पर करोड़ों का गोलमाल किया जा रहा है। चहेती फर्म को ठेका देने के लिए नियमों को दर किनार का दिया गया है। आलम यह है कम दाम पर टेंडर डालने वाली फर्म को दर किनार कर ऊंचे दाम का टेंडर डालने वाली फर्म को ठेका देने की तैयारी है। मजे की बात यह है कि फर्म के ठेकेदारों से ठेके के लिए 20 प्रतिशत बढ़े हुए दामों पर टेंडर डालने के साथ 15 प्रतिशत नकद देने की खुलेआम मांग कर रहे हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक करीब दो माह पहले जेल मुख्यालय के उद्योग विभाग ने ऊनी, सूती धागों के साथ साबुन, फिनायल, कैमिकल, तेल समेत 10 आइटम की आपूर्ति के लिए टेंडर मांगे गए। ऊनी धागे से कंबल, सूती धागे से चादर व कपड़े, कैमिकल तेल से साबुन व फिनायल का जेलों में निर्माण कराया जाता है। रॉ मैटेरियल को यह ठेका करीब साढ़े आठ करोड़ का है।
सूत्रों का कहना है कि इसके लिए प्रयागराज, रायबरेली, इटावा और कानपुर की फर्मों ने टेंडर डाला था। मुख्यालय के बाबुओं से टेंडर होने से पहले ही बिट को खोल दिया। इस मामले में आईजी जेल ने बगैर जांच कराए ही कुछ बाबुओं के खिलाफ कार्यवाही कर दी। निविदा को निरस्त कर दोबारा टेंडर मांगे गए। इसमें कानपुर की नियति इंटरप्राइजेज, आरआर टेक्सटाइल, नवरोसी इंटेप्राइजेज, SSSL  इंटरप्राइजेज ने टेंडर डाला।

सूत्रों का कहना है नियति इंटरप्राइजेज की प्रोपराइटर सरस्वती माहेश्वरी का पिछले दिनों निधन हो गया है। मुख्यालय के अधिकारी अपनी चहेती नियति इंटरप्राइजेज, RR टेक्सटाइल एवम नवरोसी इंटरप्राइजेज में से किसी एक को ठेका देने की फिराक में है। सूत्रों की मानें तो पूर्व में निविदा डालने और समय पर सैंपल देने वाली फर्म को डिसक्वालिफाई करने की कवायद में विभागीय अधिकारी व बाबू लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि नियमों को दर किनार करके उस फर्म को एल-वन दिखाकर चहेती फर्म को ठेका देने की फिराक में है।

एल-वन फर्म का दिया जाएगा ठेका

प्रदेश की जेलों में कंबल और कपड़ा बनाने के लिए मांगी गई निविदा के संबंध में जब अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन चित्रलेखा सिंह से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने माना कि पूर्व में निविदा की बिट खुले जाने की वजह से इस टेंडर को रिकॉल किया गया है। उन्होंने बताया कि जिस फर्म का एल-वन होगा उसी को टेंडर मिलेगा। उन्होंने बताया कि टेक्निकल बिट खुल गई है फाइनेन्सल बिट खुलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। उन्होंने लगाए आरोपों को सिरे से ही नकार दिया।

पूर्व में खरीदा गया करोड़ों का सामान गोदामों में..

इससे पूर्व जेल मुख्यालय के अफसरों ने प्रदेश की निर्माणाधीन प्रयागराज जिला जेल और इटावा की निर्माणाधीन केंद्रीय कारागार के लिए करीब 10 करोड़ रुपये के सामान की खरीद फरोख्त कर ली थी। जानकारों के अनुसार प्रयागराज जिला जेल के लिए करीब साढ़े चार करोड़ की लागत से जेलों में इस्तेमाल होने वाली दैनिक उपयोग की वस्तुओं की खरीद फरोख्त कर ली थी। इसी प्रकार करीब छह करोड़ का सामान केंद्रीय कारागार इटावा के लिए भी खरीद लिया गया था। यह दोनों जेल अभी तक चालू नहीं हो पाई है। करोड़ो रुपय का खरीदा गया यह सामान गोदामों में धूल खा रहा है।

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